Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 35
________________ अष्टकर्म २६ असयत अग १२६३ अ, दिक् १२०४ ब, द्रव्य (पूजा) असख्याल-१.२०५ब, अणु वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५.ब, ३७८ अ, पाहुड १३४० ब, १३४८ अ, ३ ५७ अ, ३५१६ अ, अन्त ०५७ व, असख्यात १२०७ अ, पुत्र (अन्तकृत केवली) १२ब, पथिवी २५७६ ब, कालाणु २८३ ब. २८५ ब, गणित प्रयोगविधि प्रवचनमाता ३१४८ अ, प्रानिहार्य १.१३७ ब, भक्त २.२१८ अ, गगित सहनानी २२१६ अ, जघन्य (तेला) ३१६४ ब, मगल द्रव्य २ ३०२ अ, २३०३ उत्कृष्ट १००५ ब, गुणवृद्धि ४६६ अ, ज्ञानावरण अ, ४३३१ अ, मद ४३६१ व, मध्यरुचक प्रदेश २२७१ अ, द्वीप २४६२ ब, भागवृद्धि ४६६ अ, ३३७६ ब, मूलगुण १,२०५ अ, ४५० ब, शुद्धि लोक सहनानी २.२१६ अ, वर्षायुष्क १.२५४ अ, ४.३८ ब, सम्यग्दर्शन के अग ४३५० ब, ४३५१ अ, १२६१ अब। स्थान ३११० अ। असंख्यातासख्यात---१२०७ अ । अष्टकर्म-प्रकृति ३६२ अ, उदय-उदीरणा आदि का असख्यय-१.२०७ अ, सख्या प्रमाण १२०५ ब, अद्धा अल्पबहुत्व ११७५, अनुभाग अल्पबहुत्व ११६६, १२५६ अ, १२६० ब । बद्ध प्रदेश ४ ११६ ब, अबाधा १२४६, गुणावरोधक असंख्येयाद्धा-आयुवध १.२५६ अ, ब । शक्तियाँ ३३२६ । असख्येयासंख्येय - १२०७ अ, उपमा प्रमाण २२१८ अ। अष्टचत्वारिंशत्-मोहनीय की प्रकृतियाँ ३ ३४२, ३ ३४३।। असग-यदुवश १.३३६ । अष्टदिगवलोकन-१२०४ ब, व्युत्सर्ग ३६२२ अ। असज्ञी-१२०७ अ, आयु १.०६४, एकेन्द्रिय जीव १.३०७ अ, जीव २.२३३ ब, जीवसमास २३४३, अष्टद्रव्य-१२०४ ब, पूजा ३७८ अ, मंगल द्रव्य देवगति की आयु १.३७३ व पचेन्द्रिय ४१२२ ब, २३०२ अ, ४३३१ अ। प्राण ३.१५३ अ, बचनयोग ३.३८० ब, सक्लेश अष्टम-पृथिवी १२०५ अ, ३ ३२३ ब, ४४२५ अ, विद्धि स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६०, सज्ञी भक्त १२०५ अ, २ ४७ अ, भूमि ३२३४, ३ ३२४ अ। ४.१२२ अ, ४.१२३ अ, सहनानी २०२१६ अ। अष्टमध्यप्रदेश-~-१२०५ अ, जीव २ ३३६ अ, लोक असजो (प्ररूपणा)-बध ३१०८, बधस्थान ३.११३, ३४४० ब । उदय १.३८५, उदयस्थान १.३९३, उदीरणा अष्टमी क्रिया--२ १३८ ब । १४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान ४.३०२, अष्टमी व्रत-१२०५ अ। त्रिसयोगी भग १.४०८ अ। सत् ४२६२, संख्या अष्टशती--१२०५ अ, इतिहास १३४१ ब । ४.१०६, क्षेत्र २.२०७, स्पर्शन ४४६३, काल अष्टसहस्री-१२०५ अ, अकलंक १३१ अ, १३१ अ। २११६, अन्तर १.२१, भाव ३.३२ अ, अल्पबहुत्व इतिहास १३४१ ब। १.१५२। अष्टांक-१२०५ अ। असंचार-१२०७ अ, सचार ४.१२४ ब । अष्टांग--देहावयव ११ ब, निमित्तज्ञान १२०५ अ, असंदिग्ध--१.२०७ अ, वचन ४३४० अ । २६१२ ब, १४८१। अष्टांगहृदयोछोत-१२०५ अ, आशाधर १२८१ अ, असप्राप्तसुपाटिकासंहनन-प्रकृति ३८६, २५८३, स्थिति इतिहास १३४४ ब । ४४६५, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । बध ३९७, अष्टादश-दोषराहित्य ११३७ अ, १२४८ अ, एकट्ठी बध-स्थान ३.११०, उदय १.३७५, उदयस्थान की सहनानी २२१८ ब, श्रेणी ४७२ अ। १३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, अष्टापद-१२०५ ब। सत्त्व ४२७८, सत्वस्थान ४.३०३, त्रिसयोगी भग अष्टाविंशति---कर्म प्रकृति ४८७ ब, ४२७६ अ, मूलगुण १४०४, संक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ । ४४०४ अ। असबद्धप्रलाप-१.२०७ ब, वचन ३.४६७ ब । अष्टाह्निक-~-क्रिया (कृतिकर्म) २१३८ ब, पूजा १२०५ असंभव ---१.२०७ ब, लक्षणाभास ३.४०६ब। अ, ३७५ ब, व्रत १२०५ ब । असंभ्रांत--१.२०७ब, नरक पटल-निर्देश २५७६ब, अष्टोत्तरसहस्त्र-अर्हन्त भगवान के लक्षण ११३८ । विस्तार २५७६ ब, अकन ३४४१। नारकी-- असंकुचित विकासत्वशक्ति-१२०५ ब । अवगाहना १.१७८, आयू १.२६३ । असंकुट-२३३३ ब। असंमोह-१.२०७ब। अक्षेपाबा--१२०५ ब, १४६ ब, आबाधा १२५० ब। असयत-मुणस्थान ३.२४६ ब, संक्रमण ४.८६ अ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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