Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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अहेतुवाद
आगमभावनिक्षेप
अहेतुवाद-३ ८ ब।
आकाशचारण ऋद्धि---ऋद्धि १४४७, १४५२ अ। अहेतुसमा जाति-१२१८ अ।
आकाशनमल्य-अर्हन्तातिशय १.१३७ ब । अहोरात्र-~~-१२१८ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, ब । आकाशप्रदेशराशि-२२१६ अ, श्रेणी ४.७२ ब।
आकाशोपपन्न देव-निर्देश २ ४४५ ब, आयु १२६४ ब । आकिञ्चन्य-धर्म १२२४ ब, परिग्रह ३२६ ब, शौच
४४३ अ । आकृति-~१२२५ अ, गुण २ २४० अ। आक्रन्दन-१२२५ अ। आक्रोश-१२२५ अ, परिषह ३३३ ब, ३३४ अ। आक्षेपिणोकथा--१२२५ अ, उपदेश १.४२५ अ,
१४२६ अ, कथा २२ ब।
आखेट-१२२५ अ। आंचलिक गच्छ-४७७ ब ।
आगत--आगम प्रामाण्य १२३५ ब । ऑत--१२१८ अ, औदारिक गरीर १४७२ अ ।
आगम--१.२२५ ब, अनुयोग चतुष्टय १६६ ब, अभ्यास ऑतरा-१२१८ अ।
४५२३ ब, अर्वाचीन पुरुष १.२३६ ब, अरपता आंदोलन करण-१२१८ अ, अश्वकर्ण करण १२०४ अ।
१.२२८ ब, नय १२३६ अ, निक्षेप २६०५ ब, पद्धति आंध्र-१२१८ अ, मनुष्य लोक ३ २७५ ब ।
१२३६ ब, ३८ ब, प्रामाण्य १.८२ ब, १.२३४ ब, आंध्र वंश-१२१८ अ ।
भावना ३८ ब, सकलन १.२६६ ब, स्वाध्याय आंवली (आहार)-१२१८ अ ।
४५२४ ब । आसिक-१२१८ ब, मनुष्य लोक ३ २७५ अ ।
आगमज्ञ-श्रुतकेवली ४.५५ ब, ४.५७ अ । आ-१२१८ अ।
आगमज्ञान-२.२६८ ब, अकिचित्कर २२६५, २.२६७ ब, आउ---कालप्रमाण २२१६ अ।
आत्मज्ञान २.२६५, २२६७ ब, केवलज्ञान २.१५० ब, आउ अंग-कालप्रमाण २२१६ अ।
सम्यग्ज्ञान २२६८ ब, सम्यग्दर्शन ४३५४ ब, आकपित-१२१८ अ, आलोचना १२७७ ब।
४३५६अ। आकर-१२१८ अ ।
आगमचक्षु-१७८ अ, श्रुतज्ञान ४ ६३ अ, सासादन आकर्षण-ध्यान २४६७ अ, मन्त्र ३ २४५ व ।
४५२४ ब ।
आगमद्रव्यनिक्षेप-अन्तर १.३ व, अनन्त १५५ ब, उपशम आकस्मिक-भय १२१८ ब, ३.२०६ अ, भीति ३ २०६ ब।
१४३७ अ, काल २५१ब, निक्षेप २.५६६ ब। आकांक्षा-अनुराग ३४८४ ब, अभिलाषा १२१८ ब ।
आगमन-१२३६ ब । ११३० ब, उपदेश १४२४ ब, ममेद बुद्धि ३ ५३२ ब,
आगम परपरा-इतिहास १ ३४०। सम्यग्दृष्टि ३ ४०० अ।
आगमप्रमाण-१.२३४ ब, अर्थ-शब्द सम्बन्ध १२३३ अ, आकार-१२१८ ब, इन्द्रिय १३०५ ब, औदारिक शरीर
आचार्य वचन १.२३७ अ, आप्त वचन १२३४ ब, १४७१ ब, गुण २२४२ ब, परमाणु ३ १७ ब, विग्रह
छद्मस्थ ज्ञान १२३७ ब, जिन वचन १.२३८ अ, गति १२४७ अ।
तर्कसंगत १.२३६ अ, परम्परा से आगत १.२३५ ब, आकाश-१२१६ ब, अनुभाग १८८ अ, उत्पादादि
पूर्वापर अविरुद्ध १२३६ अ, पौरुषेय १.२३८ अ, प्रत्यक्ष १.३६२ ब, उपकार २६३ ब, गति ३ ५७३ ब, प्रदेश
ज्ञानी १२३५ ब, वचन-वक्ता सम्बन्ध १.२३४ ब, श्रेणी ४७२ ब, भूत १२२४ ब, ३२३४ अ, मण्डल वाच्य-वाचक सम्बन्ध १.२३३ अ, वीतराग वचन १२२० ब, स्वभाव ४५०६ ब, अल्पबहुत्व १२३५ अ, शब्द-अर्थ सम्बन्ध १.२३४ अ, सूत्र वचन १.१४३ अ।
१२३२ ब, सूत्र अविरुद्ध वचन १ २३८ अ, सूत्रसम आकाशगता चुलिका-१.२२४ ब, श्रुतज्ञान ४ ६६अ। वचन १२३५ ब। आकाश गमन-अर्हन्तातिशय ११३७ ब ।
आगमबाधित-१२३६ ब, बाधित ३.१९२ ब । आकाशगामित्व ऋद्धि-१.२२४ ब, ऋद्धि १.४४७, ४५१ ब, आगमभावनिक्षेप-अन्तर १३ ब, अनन्त १.५६ अ, । ४५२ अ।
उपशम १४३७ अ, कर्म २२६ अ, जीव २६०५ ब :
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