Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 34
________________ अशुभ १.८३४ अपरिग्रह २.२९ अ विषकुम्भ शुभाशुभ १४३३ व हिंसा २२१६ ब, ४५३३ अ, ४५३४ ब । २८ १.४३४ अ १२१६ ब, 1 1 अशुभ -- ३३७७अ आसन ४२८२ व उपयोग १४३० ब १४३३ ब उपलम ४४३७ अ, करण चिन्ह ११६२ अ शुभ ४४१ ब, तैजरा शरीर २३६५ ब, तैजस समुद्घा २३६८ व नामकर्मप्रकृति १.२०४ व ३०३ ब परिणाम १४३१ अ. ३३१ अ २६२१अ निरोध २४७२ ब प्रणिधान ३११५ अ, मोह ३ ३४० व, योग १२०४ अ, २४६ ब, ३२७७ ब, ३३७५ व ४१६ व ४१४२ ब राग ३९६ अ, लेश्या २.४६३ अ, ३.४२२ व स्वप्न ४ ५०४ अ । अशुभ | मकर्मप्रकृति- १२०४ अ, शुभ ४४४१ अ पाप ३.५३ ब, प्ररूपणा - प्रकृति । ३.८८ २.५८३ अ स्थिति ४४६, अनुभाग १६५ प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३.४७ बन्ध स्थान ३.११०, उदय १३७५, उदय स्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ उदीरणा स्थान १४१२ सय ४ २७८, सस्व स्थान ४३०३ सियोग 'भग १४०४, संक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६८ । अशुभपरिणाम उपयोग १.४३० ब १४३१ अ ब परिणाम ३३१ अ व्युत्सर्ग ३६२१ अ । अशुभयोग- १२०४ काययोग २४६ व ३ ३७७ व, योग ३३७५ ब, वचनयोग सवर ४१४२ ब । अशुभलेश्या - ३४२२ व ध्याता ३४१३ । अशुभोपयोग – १२०४ अ उपयोग १४३० व १४३३ व अशुद्धोपयोग १४३४ अ १ ४३४ अ । अशून्यता - २.३३३ अ । अशून्य नय -- १२०४ अ, नय २५२३ अ । अशोक - १.२०४ अ ग्रह २२७८ अ, मल्लिनाथ २.३५३, मौर्यवंश १.३१३, १३१६, विद्याधर ३५४५ व व्यन्तरदेव ३६१३ ब अशोकरोहिणी व्रत - १२०४ अ, रोहिणी व्रत ३.४०७ अ । अशोकवनभावन लोक मे ३२१० ब व्यन्तर लोक मे ३.६१२ ब, नन्दीश्वर द्वीप मे ३.४६६ अ । 1 Jain Education International मनोयोग ३४१८ ब, १.४३१ अ गुणस्थान अशोकवृक्ष - -१-२०४ अ वृक्ष ३५७६ ब, ३.५८० अ, प्रातिहार्य १.१३७ ब । 7 अशोक संस्थान-१२०४ अ ग्रह २.२७४ अ अशोका - १.२०४ अ दियाधर नगरी ३.५४५ व नन्दीश्वर द्वीप की बापी निर्देश ३.४६३ अ नाम ३.४७५ अ विस्तार ३४९१ अकन ३.४६५ । अशौच -- ४४४ व अश्मक - १२०४ अ, मनुष्य लाक ३२७५ अ । अश्मगर्भ मानुषोत्तर पर्वत का कूट- निर्देश ३.५७५ अ, ३४६४ विस्तार ३४६ अश्रद्धा - ४.४६ अ । अश्रद्धानतत्त्व ३३०० अ मिध्गदर्शन २३०० अ श्रद्धान ४४५ ब । अश्रुपात आहारान्तराय १२६ अ । अश्रेणी - गुणस्थान २ २४७ अ । अश्व १२०४ अ, चक्रवर्ती का वैभव ४१३ अ ग्रह २२०४ अ, अश्विनी नक्षत्र २५०४व माहेन्द्रदेव का -- अष्ट 4 यान ४५११ ब लौकान्तिकदेव ३.४९३ व सम्भवनाथ का चिन्ह २३७६ । अश्वकठ -- ४२६ अ । अश्वकर्ण करण- १२०४, कृष्टि २१४० २१४२ अ स्पर्धक ४४७३ । अश्वग्रीव १२०४ व प्रतिनारायण २३६१ व ४३०, ४.२६ अ । अश्वत्थ १२०४ ब, अनन्तनाथ व पार्श्वनाथ २३८३ । अश्वत्थामा- -१२०४, ब । अश्वधर्मा- विद्याधर व १३३१ अ अश्वध्वज - विद्याधर वरा १३३६ अ । अश्वपति १२०४ व । अश्यपुरी - १२०४ व विदेहस्थ नगरी निर्देश २.४६० अ, नगरी ३४७० ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अकन २४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३ ४६० अ । अश्वमेघदल - १२०४ व अर्जुन ११३४ अ । अश्वलायन पश्पादी १४६५ अ । अश्ववन पार्श्वनाथ २३५३ । अश्वसेनचदुवरा १३२७ । अश्वसेना व १३३७ । - , For Private & Personal Use Only अश्वस्थान - २२७४ अ । अश्वायु - विद्याधर व १.३३९ अ अश्विनी – १२०४ व नक्षत्र २५०४ व मल्लिनाथ - ब, नमिनाथ २३५० । अश्विनी व्रत १२०४ व । अष्ट - १२०४ व अग २२६३ अ, ३५० ब ४३५१ अ ४३५८ब, अगधर १३६७, आयु के अपकर्ष काल १२५६ अ, १२६७, आयतन १२५१ अ, कर्म ३२ अ ३३२६, कर्मप्रदेश ४११६ व कर्म ब, वर्गणा ३५१७ ज, गुण (सिद्ध) ३३२५ व, ज्ञान के www.jainelibrary.org

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