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अंकुस]
[ अंग
की आयु है. a celestial mansion -पहार.पुं० (-प्रहार)यामपानीमार-या of the heavenly world Mahā- चाबुक की मार का घाव. a lash of a Sukra where the gods live 16 whip. जं० ५०४; Sagaropamas of years. सम० १६; अंकेसाइणी. स्त्री० (अङ्केशायिनी ) मोकामा ( १ ) पंतानो छ। होष; २०ने रणने
सुवावा पुत्री वी. गोद में सोनेवाली पुत्री અંકુશની પેઠે બે હાથમાં રાખી ગુર્નાદિકને
2746. Sleeping in a lap ( like पंना ४२वाथी सागता में दोष*. वन्दना का
___ a daughter). सूय० १, ४, १, २८) छठा दोष; रजोहरण को अंकुश के समान
अंकोल्ल. पुं० (अकोल-प्रयते स्वच्यते कीक्षादोनों हाथों में रखकर गुरु आदि को वन्दना
कारकण्टकैरिति ) संसार से और करने से लगने वाला एक दोषx.the sixth
હિંદના દરેક પ્રાન્તમાં ઉગે છે, એના બીજનું fault of Vandana ( obeisance )
तेल नाणे छ, से 3. विशाण होय छे, committed by holding the Rajo
તેના પાંદડાં આંગળ બે આંગળ પહોળાં અને harana like a hook while salut
કરણીના જેવાં લાંબા અને રેખાવાળાં હોય છે. ing or bowing to elders 8. प्रव.
अंकोल का वृक्ष; यह वृक्ष हिंदुस्तान के प्रत्येक १५०; ग्रंकुसश्र. पुं० (अकुशक ) नु। 'अंकुश'
प्रान्त में पैदा होता है, इसके बीज का तेल शहना श्रीन नपरो अर्थ. देखो 'अंकुश'
निकलता है, यह भाड़ विशाल होता है, इस शब्द का तीसरा अर्थ. Vide 'अंकुश' 3.
के पत्ते एक दो अंगुल चौड़े होते हैं और श्रोव० ३६; भग० २, १;
करणी के पत्तों के समान लंबे एवं रेखा वाले अंकुसा. स्त्री० (अकुशा ) यामा श्रीसनंत.
होते हैं. A species of large trees नाथ-तीर्थनी शासन वार्नु नाम. १४ वें
bearing oilseeds,found throughतार्थकर- श्रीअनन्तनाथ की शासनदवी का
out India. भग० २२, २; ४; पम० १; नाम. Name of the tutelarry god- | अंग. न० (श्राङ्ग ) मंग३२४वाना शुभाशुन dess of the 14th Tirthankara, ફલ બતાવનાર નિમિત્તશાસ્ત્ર; ૨૯ પાપ
Shri Anantanatha. प्रव० ३७८ भूत्रमार्नु मे. अगफरकने के शुभाशुभ अंकेल्लण. न० (*अङ्कलन ) धोने भावना फल को कहने वाला निमित्तशास्त्र. The
यामु४. घोड़े को मारने का चाबुक. A whip science that foretells events to strike a horse. भग० १, १; from the throbbing of a limb;
ત્રને ટ-આ દેષ પરત્વે જુદા જુદા મત છે, એક કહે છે, કે સુતેલ ગુવાંદિકની પછેડી વગેરે ખેંચી જગાડી બેઠા કરી વંદના કરે તે અંકુશ દે. બીજા કહે છે, હાથીને અંકુશ લાગતાં શિર ઉચું નીચું કરે તેમ વંદના કરે તે અંકુશ દેષ. ત્રીજો મત ઉપર જણવ્યો તે વાજબી છે.
x नोट-इस दोष के सम्बन्ध में भिन्न भिन्न मत हैं कि, सोये हुए गुरु आदि को उन के वत्मदि बैंच कर जगाना और फिर बैठा कर उन्हें वन्दना करना यह अंकुश दोष है । दूसरा कहता है कि, हाथी को अंकुश लगाने से जिस प्रकार हाथी सिर ऊंचा नीचा करता है उसी प्रकार वन्दना के समय करना. तीसरा मत ऊपर दिया गया है और यही उचित भी है.
Note-According to some, salutation after rudely awakening them etc.
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