Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 471
________________ अरहरणय ] ( ३६१) अरि પછી અરણિક મુનિને ગોચરી જવું પડયું. heat. उत्त० टी० २; -समणोતડો સહન ન થવાથી તે પતત થયે, પણ . वासग. पुं० (-श्रमणोपासक ) सर તેની તેની માં જે આર્યા થયા છે, તેને બહુ |. सुन नामे अभीपास-श्राव. अरहદુઃખ લાગ્યું, તે ગાંડા થઈ ગયા. આખર ! नक नाम का साधुओं की उपासना करने वाला ભાગમાં ફસાએલ ચારણકે માતાની અવદશા | श्रावक. a Jaina layman of the જોઈ ત્યારે ફરી વૈરાગ્ય ધારણ કર્યું. માના | name of Arahannka. नाया. ८; કહેવાથી ફરી દીક્ષા લીધી, ધગધગતી શિલા ! अरहस्स. न. (अरहस्य-नास्ति रहस्यઉપર સંથારો કરી, તાપનો પરિષહ સહન | मपरं यस्मात्तदरहस्यम् ) गुलमा गुत छ थी. तारी नगरी के दत्त का शास्त्रनुं तत्व-२७२५. छेद शास्त्र का गुप्त से पुत्र, जिसने कि अपने माता पिता के गुप्त तत्व-रहस्य. The most abstruse साथ अहन्मित्र नामक आचार्य से दीक्षा ली. and deep meaning of Chheda पिता के स्वर्गवास हो जाने के पश्चात् अराणिक | Sistra. ठा०६;-भागि. पुं० (-भागिन् को भिक्षार्थ जाना पड़ा, परन्तु धूप सहन न (-रहस्यस्याभावोऽरहस्यं तद्भाजते यःस तथा) होने से वह दीक्षा से पतित हो गया और જેનાથી કંઈ રહસ્ય-ગુપ્ત નથી તે ; સર્વજ્ઞ, भोग में फँस गया, इससे इसकी माता को | परिसंत भगवान्. जिससे कोई रहस्य छिपा बहुत दुःख हुआ और इस दु ख से वह पाम- न हो वह; सर्वज्ञ; अरिहंत. omniscient; लसी हो गई. माता की यह दशा देखकर भोग में | Arihanta. ठा०६; फंसे हुए अरणिक को वैराग्य हुआ और माता रहा पुं० ( अर्हत् ) नुस' अरह' श६. के कहने से फिर दांक्षा धारणा की, तथा तप्स देखो ‘अरह ' शब्द. Vide 'अरह' भग० शिला ऊपर संथारा कर ताप का पारंषह १६, ५; १८, २; २०,८; २५, ६; निर. सहन किया. the son of Datta of the ३, १: अणुजो० १२७: सूय० २, ३, २२; city of Täri. He along with his ठा० ३, ४; कप्प. ५, १२०; जं. parents took Dikṣā from the प० २, ३० Acharya Arhanmitra. After अरहिय. त्रि. (अरहित ) निरंतर; विरह the death of his father he विना. निरंतर; सदा. Ceaseless; conti(Araņika Muni) had to go out nuous. "अरहियाभितावा तहवि तविंति" to bog alms. He could not सूय० १, ५, १, १५; bear the heat of the sun and fell off from his ascetic vows. tio Gova | श्रराग. त्रि० (अराग) २२खित. राग रहित. The mother, greatly distressed | Free froni passion or attachat this became mad. At lengh ment. भग० १७, २; Aramika pitying her again | अरि. पुं० (अरि ) हुश्मन; ; शत्रु. शत्रु; became a monk at her request दुश्मन.An enemy. जीवा० ३, ३; नाया. and performed Santhara on a | २; जं० प० २; "छवग्ग. पुं० (-पड्वर्गhot slab of stone and en- पण्णां वर्गः समुदायः षड्वर्गः ) भ, ५, dured the pain caused by सोममान महसनेमा (प) मे ७ तरिक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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