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हातस्थित ]
श्रदातस्थिज्ज. न०. ( यथातथ्यक ) सूयगडांसूत्रा तेरमा अध्ययननुं नाभ. सूयगडांग सूत्र के तेरहवें अध्याय का नाम Name of the 13th chapter of Sūyagadanga Sūtra. अणुजो० १३१; अहात. श्र० ( यथातथ्यम् ) प्रेम होय तेभ. जैसे का तैसा. Exactly; without the slightest deviation. आया० १, ४, '४, १४०;
श्राप जस. त्रि० (यथापर्याप्त) ४२ छ। ५२तुं प्राप्त थमेश नेतेसुं भजेसुं. आवश्यकतानुसार मिला हुआ. Enough; obtained to one's fill विवा० २; ७; नाया० १६; १६; भग० २, ५, ७, १०; अहापडिग्गहिय. त्रि० ( यथाप्रतिगृहीत ) જેટલું લીધું હતું તેટલું; એવું થએલું નહિ छिन्तु प्रथम सीवेस तु तेसुं जितना लिया था उतना ही, कम नहीं. Exactly as much as was taken or got; neither more nor less. भग० २, ५;
अहापडिरूवः त्रि॰ (यथाप्रतिरूप) यथायोग्य;
Gथित. उचित; यथायोग्य. Proper; ap propriate. नाया ० १ २; ५; १३; १४; १६; भग० २, ५, ६, ३३; राय० २७; विवा ० १; दसा० १०, १; नाया० ध० निर० १, १; अहापणिहिय. त्रि० ( यथाप्रणिहित ) यथा
वस्थित यथावस्थित; जैसे का तैसा रहा हुआ. Exactly in the condition in which a thing stands. श्रहापणिहिएहिं गाएहिं " भग० ३,२; दसा० ७, १२; हापरिगहिय. त्रि० ( यथापरिगृहीत) नेवी रीते बीधुं होय तेवी रीते स्वीरे जिस प्रकार लिया हो उसी प्रकार स्वीकार किया हुआ. (Anything ) as accepted; in the manner in which (it) is accepted. भग० २, ५, ११, १२;
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श्रहापरिणाय त्रि० ( यथापरिज्ञात ) भेटली જગ્યાને માટે કહેવામાં-ક્રમાવવામાં આવ્યું होय तेटली भय्या. जितनी जगह के लिये कहा गया हो उतनी जगह. Room space exactly as ordered. "महापरिण्णायं वसिस्aामो " आया० २, २, ३, ८६ अहापवत्त न० ( यथाप्रवृत्त) अनादि अजथा જે સ્વભાવે વર્તે છે તે સ્વભાવે વર્તનાર; स्वभावान्तरने पामेसुं नहि. अनादि काल से जिस स्वभाव के अनुसार बर्ताव कर रही हो उसी स्वभाव के अनुसार बर्ताव करने वाली वस्तु; स्वभावान्तर को प्राप्त न होने वाली वस्तु. Unchanged in nature;maintaining the nature coming down from times immemorial. क० प० २, ६, ५, ६, पंचा० ३, ६, नाया० ५; - करण. न० (- करण ) भुग्यो 'श्रहापवत्त ' ६. देखो • अहापवत
(
[ श्रहाबद्ध
,
शब्द vide
अहापवत्त . ' क० प० ७, ४१;
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श्रहापवित्त. त्रि० ( यथाप्रवृत्त) या प्रवृत्तिभां भेटले तेटसु यथायोग्य प्रचलित प्रवृत्ति में जितना चाहिये उतना; यथायोग्य. Proper, appropriate; just as much as is needed. अंत० ५, १; नाया० १६;
श्रहापवित्ति. स्त्री० ( यथाप्रवृत्ति ) उचित प्रवृत्ति उचित प्रवृत्ति. Proper action or activity. नाया • ५; —करण. न० ( -करण ) समतिने अनु अध्यवसायविशेष सम्यक्त्व के अनुकूल अध्यवसायविशेष. thought-activity favourable to right faith. क० ० ५,८ श्रहाबद्ध त्रि० ( यथाबद्ध) ले ते भगत यांचेसुदृढ गोवेसुं श्रावश्यकता के अनुसार मज़बूत बांधा हुआ. Strongly
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