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अहोलोअ-य]
( ५१०)
[ अहोलोअ-य
નરકે કેટલા કેટલા પાથડા અને કેટલા નરકા- सातवा नरक सात राजु के विस्तार में है. अधोવાસા છે, તે ચિત્રમાં બતાવેલ છે. પહેલી નરક लोक में नारको, भवनपति, वाणव्यन्तर और એક રાજની, બીજી બે રાજની, એમ એકેક રાજ जम्भक देव रहते हैं, इनके अतिरिक्त पांच વધારતાં,સાતમીનારક સાત રાજના વિસ્તારમાં स्थावर भी रहते हैं. The nether world; છે.અધેલકમાં નારકી, ભવનપતિ, વાણબૂતર
the lower world consisting of અને જંભકા દેવતા રહે છે, તે ઉપરાંત પાંચ
seven Narakas ( hell) each स्था१२ छे.अधोलोक; पाताल लोक; जहाँ सात separated by a certain number नरक हैं, बस नाडी के भाग में पाथड़े-स्तर हैं,
of earth layers. The middle उनके ऊपर नरकावास हैं, उनमें नारकी रहते हैं,
portion of this world is known
as Trasanādi which is habituएक एक नरक में कितने २ स्तर और कितने २
ated by Nārki beings and नरकावास हैं सो चित्र में बताया गया है ।
Bhavanpati, Vanvyantara and प्रथम नरक एक राजु का, और दूसरा दो राजु Jrumbhaka gods. अणुजो. १०३ का है, इस प्रकार एक एक राजु की वृद्धि होने पर १४८; पन. २; भग. २, १०॥
-- अहोलोप-अधोलोक. --- त्रिछोलोया--:पापा ३
पृश्यी पिंड नरकायासा
१८...सोमन.
नरयन्ठा .
पाथs/
पृ.
....यो.
न.२५०००००
पाथडा
मा१५०००००
३
पाथडा.
पृ. १२०...यो.
न.१०.०००.
पाथडा ५
पृ.११८..यो.
न.३.....
पाथडा३
पृ.
६... यो.
म.९९९१५
पाथडो१
-
पृ.१८...योजन.
मरकापासा,
walaamitive
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