Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 579
________________ हासुमं ] रहित सामान्य निर्ग्रथ. गुणस्थान के सर्व समय में वर्तमान निर्ग्रन्थ; चरम समय आदि विशेष भेदों से रहित सामान्य निर्ग्रन्थ. an ordinary ascetic who is not strictly confined to a particular Gupasthāna. भग० २५, ६; -- पुलाय. पुं० (- पुलाक ) भन्थी ज्ञान महिना अतिચારી સેવી સંયમને નિ:સાર અનાવનાર (साधु). मन से ज्ञान आदि का अतिचार सेवन कर संयम को निःसार बनाने वाला साधु ). an ascetic frustrating the object of asceticism by harbouring in mind thoughts of violation of right knowledge etc. भग० २५, ६;——बउस पुं० (- बकुश) શરીર સંબંધી કે ઉપગરણ સંબંધી કિંચિત્ होप लगाउनार ( साधु ) शरीर सम्बन्धी 'अथवा उपकरण सम्बन्धी किंचित् दोष लगाने वाला (साधु) a person who incures a slight fault in the matter of his implements or his body. भग० २५, ६; ( ४६६ ) हासुमं. अ. ( यथासूक्ष्मम् ) होते सूक्ष्म-मारी. जितना चाहिये उतना सूक्ष्म. As fine as is necessary; as fine as is needed. नाया० १; भग० ३, १; २५, ६, कप्प० २, १६; जं० प० ३, ६८; हि. पुं० ( हि ) सर्प, साथ; नाग सर्प; सांप. A serpent. "से किं तं अही ? अही दुविहा पण्णत्ता, तंजहा -दव्वियकरा य मउलियो य " पन्न० १; अणुजो ० १३१; जं० प० सू० २, ३, २४, उत्त० ३६, १८० जीवा ० १; पिं० नि० २००; नाया० १; भग० ६, ३३; पंचा० २, २२; - दड न० (-दष्ट ) सर्प हंश ( उंश ). सर्प दंश a serpentbite. "" अहिदट्ठाइस याइं वज्जयंतीह Jain Education International तह से पंचा० १८, २७:- मड. पुं० (- मृत) भरेला सर्पनुं शरीर; सर्पनु २. मरे हुए सर्प का शरीर a dead body of a serpent. नाया० ८ ६; १२; उत्त० ३४, १६; विवा० १, १ - सिलागा. बी० ( - शलाका ) में तरेहना मुली सर्प एक तरह का मुकुली सर्प. a kind of serpent. पन० १; [ श्रहिंसा अहि. पुं० ( अत्रिक ) हांस; धार धार. Edge. राय. १५६; हार. पुं० (अधिकार ) अधिर है ६ ।. अधिकार; ओहदा; पद. Authority; high post. पिं० नि० ८६; श्रहिंस. त्रि० ( श्रहिंसक ) हिंसा न २नार; પ્રાણિના વધ ન કરનાર; બીજા કાઇને દુઃખ न व्यापार हिंसा न करने वाला; किसी प्राणी को दुःख न देने वाला. ( One) who does not kill or injure or give pain to another. पण्ह २, १; श्रहिंसया. स्त्री० (श्रहिंस्रता-अहिंसा) अहिंसा; हिंसाना भाव अहिंसा; हिंसा का अभाव. Absence of killing or injuring; state of being free from the sin of killing. जं सोच्चा पडिवजंति, तवं खंतिम हिंसयं " उत्त० ३, ८; अहिंसा. स्त्री० ( श्रहिंसा ) अहिंसा; प्राणिना वधनासभाव; वहया. अहिंसा; प्राणिवध का अभाव; जीवदया Mercy towords living beings; non-injury; nonkilling. दस० १, १६, ६ सूय० १, १, ४, १०; पंचा० ७, ४२ – समय. पुं० ( - समय ) अहिंसाप्रधान आगम; अहिंसाने प्रधानले दर्शावनार शास्त्र श्रहिंसा की प्रधानता से उपदेश देने वाला शास्त्र & scripture principally inculcat For Private Personal Use Only " www.jainelibrary.org

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