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असुहत्त ]
(४८२)
[ असेहिय
गा, नीलो मे मे वर्ष, दुरलिगंध, तापो, नरकावास. Sunless; e. g. hell. કડવે એ બે રસ, ગુરુ, ખરખર, લુખે "असरियं नाम महाभितावं, अंधंतमं दुप्पतरं અને શીત એ ચાર સ્પર્શ, એ નામ- महंतं " सूय० १, ५, १, ११; मनी नर प्रतिमानो समूह. काला
असेढिगय.त्रि (अश्रेणिगत) ७५शम श्रेणितया और नीला ये दो रङ्गा, दुर्गन्ध, तीखा और कड़वा
क्ष५ श्रेणिये यस नहित. श्रेणी (उपशमये दो रस, भारी, खुर्दरा, रूखा और ठंडा
श्रेणी और क्षपकश्रेणी ) में नहीं पहुँचा ये चार स्पर्श इस प्रकार नामकर्म की नौ
हुआ. (One) that has not attained प्रकृतियों का समुदाय. the group of
to the stage called Upasama the following nine varieties of
( subsidence ) and Ksapaka Nama-Karma. viz. the two
(wearing off ) . क. ५० ५, ४१; colours (viz black and blue) the three tastes ( viz pungent, bit
असेलेसिपडिवनग. पु. ( अशैलेशीप्रति ter and stinking ) and the four पन्नक) अयोगी अवस्थाने प्रात नथमेत याहkinds of touch (viz heavy, rough, | મા ગુણઠાણની શૈલેશી અવસ્થાને ન પામેલ. dry and cold ). क. गं० १, ४२; अयोगी अवस्था को न पाया हुआ; चौदहवें
-नाम.न.(नासन्न्या 'श्रसुभणाम' गुणस्थान की शैलेशी अवस्था को न पहुँचा श६. देखो ‘असुभणाम ' शब्द. vide हुआ.One who has not attained to 'असुभणाम.' उत्त• ३३, १३,
the stage of complete cessaअसुहत्त. न० (-अशुभत्व) अशुभ. tion of physical and mental अशुभपना. Evil; badness. सूय० १, activity known as Sailesi ८, ११,
stage in the 14th Gunasthāअसूइअ. त्रि. (असूचित) सूयना नलिरेस.
na. भग० २४, ४; पन्न० २२; सूचित न किया हुश्रा; बिना सूचना दिया हुआ.
असेस. त्रि० (अशेष) नि:शेष; सर्व; समय, Not instructed; not suggested.
संपूर्ण. निःशेष; सर्व; सम्पूर्ण. Whole; ( २ ) व्यसनादिया रहित. व्यंजनादि से हित. devoid of unseasoned
entire; complete. सूय० १, ६, १७; eatables. दस० ५, १, १८; ( 3 ) या
दसा० ५, ३४; ३५; पंचा० १६, ३६; क. गं. विना सापेसुंगन कोरे. बिना कहे दिया ४,७२;-सत्तहियान० (-सत्वहित)समस्त हुआ अन्न वगैरह. food etc. given प्रालिने हित:२नार. सम्पूर्ण प्राणियों का हित without being asked for. दूस० करने वाला. that which is beneficial ५, १, १८;
to.all living beings. "जिणिदषपणं असूया. स्त्री० (*असूचा-असूची-अङ्गद्वाराचेष्टा | असेससत्तहियं " पंचा० १६, ३६; सूची न सूची असूची-स्फुटवचनम् ) २५८
| असेहिय. त्रि० (असैद्धिक) अनिल सै&ि:पयन. स्फुट वचन. Frank speech; |
मोति; सांसा२ि४; भोक्ष संमंधी नलि. जो clear speech. पिं० नि० ४३७; असूरिय. त्रि. (असूर्य) भां सूर्य नथी मुक्ति संबन्धी न हो वह सांसारिक; जिसका मोक्ष
ते; न२४ावासो. जहां सूर्य नहीं है ऐसा स्थान; | से संबन्ध न हो वह. Temporal, not
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