Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 492
________________ श्रवज्म ] 6 33 श्रोघ० नि० ६४७;-- इयर. त्रि० (- इतर ) पापथी लिन पाप से भिन्न. different from, opposed to sin. पंचा० १,२५; - कर. त्रि० (-कर- श्रवद्यं पापं तत्करणशीखः ) पायी; पाप २नार. पापी. sinful; given to sin, “ तज्जातिश्रा इमे कामा यज्जकरा य एवम क्खाए सूय० १, ४, ३, १६६ - भीरु. त्रि० (- भीरु ) पाप नामां मी. पाप करने में भीरु- डरपोक. timid in the matter of sinfulness; afraid of sin. उत्त० ३४, २८ - विरह. स्त्री० ( - विरति ) वध - पापनी निवृत्ति पाप की निवृत्ति cessation of sin. क० प० ४, २८; श्रवज्झ. त्रि० (अवध्य ) वधवा योग्य नडि. वत्र न करने के योग्य. Unworthy of being killed. नाया० १६; श्रवमाण न० (अध्यान) भाडु ध्यान; हुष्ट ध्यान; आपने रौद्र ध्यान बुरा ध्यान; आते और रौद्र ध्यान Evil meditation viz painful and revengeful meditation श्रव० ४०; पंचा० १, २३; अवज्झाया. स्त्री० ( अपध्यानता ) भर्त ाने रौद्र ध्यान ध्यावुं ते. प्रातं और रौद्र ध्यान का करना. Act of meditating painfully or revengefully. ३, ३; ( ४१२ ) अवज्झाय. त्रि० ( अपध्यातृ ) हुष्ट चिंतना કરનાર; દુષ્ટ ધ્યાન ધરનાર. दुष्ट- खराब चिन्तवन करने वाला. ( One ) who performs an evil kind of meditation. नाया० १४; अवट्टमाण. व० कृ० त्रि० (वर्तमान) न वर्तते।. न वर्तता हुआ. Not present; not existing. भग० ३, ३; अवडंभ पुं० ( अवष्टम्भ ) लिंत, थांला Jain Education International [ अवहित्रय वगेरेने टे! आपवा ते दिवाल, स्तम्भ आदि को जो सहारा दिया जाता है वह. Supporting; leaning upon a wall, a pillar etc. for support. श्रोघ० नि० २६३; ३२३; अवमिय. सं० कृ० अ० (अवष्टभ्य ) अटेलीने; टेडे। दृाने. टेका देकर. Leaning against; supporting oneself on or against प्रव० २५२; श्रवट्ठावरणा. स्त्री० ( अवस्थापना ) भावतनुं यारोपण ते महाव्रत का श्रारोपण करना. Investing ( a disciple ) with Mahāvratas i. e. full vows. पंचा० १७, २६, श्रवट्ठिश्रय त्रि० ( अवस्थित ) स्थिर रहे; वधघट न थाय तेयुं. स्थिर; न्यूनाधिक न होने वाला. Steady; unchanging; remaining fixed. नाया० ५; श्रव० १०; ३४; सम० ३४; प० २०४; सू० प० ८ भग० २, १० ५ १ ८ ६, ३३, १८, १०; २०, ८ २५, ७, पंचा० १०, १३; जं० प०१, १५; ( २ ) शाश्वत; नाशन पाये तुं शाश्वत; नित्य. eternal; imperishable. ठा ३, ३; नंदी० ५७;(3) पुं० प्रतिपांति (मेनुं પતન ન થાય તે ) અવસ્થિત અવધિજ્ઞાન; યાત્રજીવ પર્યંત રહે તેવું અવિધ જ્ઞાન. अवस्थित अवधिज्ञान; जीवन पर्यन्त रहने वाला अवधिज्ञान. steady Avadhi-Jñāna supported by proper circumspection and spiritual power. पन० ३३; विशे० ५७७; ( ૪ ) પ્રથમ સમયે જેટલી પ્રકૃતિ ખાંધે તેટલી ખીજે ત્રીજે આદિ સમયે બાંધે ते अस्थित गंध. प्रथम समय में प्रकृति का जितना बंध हो उतना ही बंध दूसरे तीसरे आदि समयों में होना वह; अवस्थित बंध. For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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