Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 555
________________ असि] (४७५) [ असित acage of swords. परह० २,२;--पंज- a sword. सूय. २, २, ३०; जं. प. ३; रगश्र. त्रि. (-पञ्जरगत ) ३२ता तरवार- नाया० १;-लहि. स्त्री० (-यष्टि) तरवारपापा माणसाथी धेरा-मेल. तलवार घुमाते पाणी alssी; गुती. तलवार की लकड़ी; गुप्ति. हुए मनुष्यों से घिरा हुआ. surrounded a sword-stick. विवा० १, ३; श्रोव० by men bearing swords. परह. भत्त० ५८-वण. न० (-वन) ५गना २, २;-पत्त. न० (-पत्र) तवारनी सारे ५isinाणां वृक्षतुं वन. तलवार ધાર જેવાં પાંદડાંવાળું ઝાડ, શામલી નામે के आकार के समान पत्तों वाले वृक्षों का वन. न२ नुमे . तलवार की धार के समान a grove of trees having leaves पत्तों वाला झाड़; नरक में होने वाला शाल्मली of the form of a sword. पण्ह. १, नामक झार. a tree in hell १;~-वर. पुं० (-वर) श्रे४ ५३२. श्रेष्ठ named Sālmalī; a tree having खड्ग-तलवार. the best sword; an leaves like the edge of a excellent sword. नाया० ६ sword. उत्त. १६, ६०; भग० ३, ७ प्रसिद्र. त्रि. (*अशिष्ट-अकथित) हेतुं. नाया० १६; ठा० ४, ४; जीवा. ३, १; विवा. न कहा हुआ. Not told. परह. २, १; ६; (२) तलवारना नवा ५६वाणु | असिणाइ. त्रि. (अस्नायिन्) स्नान नलि શાલ્મલી નામે રક્ષ વિકુવ તેની નીચે ४२२. स्नान न करने वाला. One who બેસાડીને નારકીના તલતલ જેવડા કટકા કરી does not take a bath. सम० ११; નાખે તે; પરમાધામી દેવતાની નવમી જાત. असिणाण. त्रि. (अस्नान ) स्नानलित तलवार के समान पत्तों वाले शाल्मली नामक वृक्ष को देवमाया से प्रकटकर उसके नीचे नार स्नान रहित. Unbathed; bathless. कीयों को बैठाकर उनके टुकड़े २ कर डालने दस० ६, ६३; (२)न० स्नाननलि २Qते. वाला; परमाधामी देवताओं की नवी जाति. स्नान का न करना. absence of a bath. the ninth kind of Para mā. पंचा० १०, १८-महिहग. त्रि० (-मधिdhamis seating Nārakis छात) भास्नानना प्रतिषेधछे मे अनुठान under supernaturally created ३२ना२. जिसमें स्नान का निषेध-मनाही है ऐसा Sälmali tree with its sword- ! अनुष्ठान करने वाला.one whopractises like leaves and hacking religious performance in which them to pieces. सम० १५; सूय. a bath is prohibited. “ जावजीव वर्ष नि. १, ५, १, ७६;-रयण. न० (-रत्न) घोरं प्रसिणाणमहिटगा " दस० ६, ६३; पतीनु मे २त्न; ५३२ल. चक्रवर्ती । का एक रत्न; खड्गरत्न. a jewel of असिणाण. त्रि० (अस्नानक ) स्नानरहित; Chakravarti (a paramount | स्नान न ३२ना२. स्नान रहित; स्नान न king; ) a sword-jewel. ठा. ७, १; करने वाला. Bath-less; one who पन्न० २०; जं०प० ४, ६ -लक्ख ण. does not take a bath. दसा० ६, २; न० (-लक्षण ) तारना सक्ष! पानी असित. त्रि. (असित ) पुत्र सत्राहियी ४ा-शान. तलवार के लक्षण जानने की कला. अप; भुनिविशेष. स्त्री पुत्र श्रादि से न बंधा the act of knowing the marks of | हुआ; मुनिविशेष. Not tied to or Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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