Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 511
________________ श्रविप्रसवित्ता ] ( ४३१ ) अविउसवित्ता. सं० कृ० श्र० (* श्रव्युपस्थाप्य - अभ्युपशाम्य) उपशभाव्या विना. बिना उपशम किये. Without having calmed or quieted. वेय० १ ३३; श्रविउसविय. त्रि० ( अव्युपशमित ) 64शभावेश नहि. न उपशम किया हुआ. Not calmed; not quieted. वेय० १, ३३; -- पाहुड. त्रि० (-प्राभृत) भेाधने शांत नथी ते क्रोध को जिसने शान्त न किया हो वह. (one ) who has not assuaged or calmed his anger निसी० १०, १४; ठा० ४, ३; अविउस्तिय. सं० कृ० अ० ( श्रभ्युत्सृज्य ) नदि छोडीने; नहि तने न छोड़कर; न त्यागकर. Without having aban doned; without giving up. सूर्य • २, ६, २३; अविश्रोग. पुं० ( अवियोग ) वियोगनो अलाव; पुत्र, मित्र माहिनो अविरल वियोग का अभाव, पुत्र, मित्र आदि का अविरह. Absence of separation, e. g. from sons, friends etc. पण्ह० १, ५; श्रविश्रोसिय. त्रि० ( श्रव्यवसित ) अनुपशान्त; उपशभावे नहि. अनुपशान्त; न उपशमाया हुआ. Not calmed; not assuaged. ठा० ३, ४; — पाहुड. त्रि० (- प्राभृत) भेाध उपभाग्या नथी ते. जिसने क्रोध का उपशम नहीं किया वह. (one ) who has not calmed his anger. "बहुसो उदीरयंतो, अविश्रोसियपाहुडो सखंड " ठा० ३, ४, श्रविदमाण. व० कृ० त्रि० (अविन्दमान) न भेजतो प्राप्त न करता हुआ. Not getting; not obtaining. विवा० १, २, Jain Education International For Private [ श्रविविश्र अविकंप. त्रि० ( श्रविकम्प ) अन्यस; स्थिर. अचल, स्थिर. Immoveable; steady; firm. पंचा० १८, १५ प्र० ५६१; अविकंपमाण. त्रि० ( श्रविकम्पमान) धथी नतो; तो क्रोध से न काँपता हुआ. Not trembling, e. g. with anger. " विगिंच कोहं अविकंपमाणे " आया० १, ४, ३, १३५; अविकत्थण. पुं० ( श्रविकत्थन ) अतिवधारे ન મેાલનાર; હિતકારી અને પાંમિત ખેલનાર. बहुत ज़्यादह न बोलने वाला; हितकारी और परिमित बोलने वाला. One, not given to speak too much; one measured and beneficent in speech. प्रव० ५५६; अविकप्प. पुं० ( अविकल्प ) विप-संहेनो अलाव; निःशंपा. संदेह का प्रभाव; निःशंकपना Freedom from doubt; absence of misgiving. " अविकप्पेण तहक्कारो " प्रव० ७७१; श्रविकल. त्रि० ( श्रविकल ) परिपूर्ण; विसमंडित नहि ते परिपूर्ण; अखंडित. Perfect; entire; complete. पिं० नि० ७१; भग०६, ३३; पंचा० ६, ३६; विकार. पुं० ( विकार ) विहार अभाव. विकार का अभाव. Absence of modification or change. अजो० १३०; अविकारि. त्रि ० ( श्रविकारिन् ) बेनुं रूपान्तर न थाय ते; व्यविहारी जिसका रूपान्तर न हो सके वह; अविकारी. Unchangeable; constant. पिं० नि० २७६; अविक्वि. त्रि० ( अविक्रेय ) वेथवा योग्य नहि न बेंचने योग्य. Unworthy of sale; unfit to be sold दस० ७, ४३; Personal Use Only www.jainelibrary.org

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