Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 514
________________ अविएणा ] (४३४) [ अविद्धकरणय अविराणा-स्त्री० (अविज्ञा) अजएये होष सेवा नाया० १; ३; १२; भग० ६, ३३, ११, ११; ते.विना जाने दोष का सेवन करना. Uncon- परह० २,२; श्राव. ४, ८, कप्प.१, sciously resorting to sin. सूय. १२, ३, ५५; पंचा• १२, १५; (२) न० नि० टी० १,१,१;-उवइय. न.(-उप- सया. सच्चाई; सत्यता. truth. श्रोव०१६; चित-प्रविज्ञानमविज्ञा सयोपचितम् ) २५- ३२; गणपणे ४२ . बिना जाने किया हुआ श्रविातेएण. त्रि० ( अवितीर्ण ) संसारने नखि कर्म. Karma done unconsciously. તરેલ; સંસાર સાગરને કાંઠે નહિ પહોંચેલ. सूय०नि० टि. १, १,१; संसाररूपी सागर के किनारे न पहुँचा हुआ; अविण्णाय. त्रि० (अविज्ञात) मेस; जन्म मरण में फँसा हुआ. ( One ) who अविहित. अविदित; न जाना हुश्रा; बे मालूम. has not crossed the worldly ocean. सूय. १, २,१,६; Unknown; not know n. भग० १, १, ३, ७, १८, ७-कम्म. त्रि० (-कर्मन् अवितिराह. त्रि० (अवितृष्ण न-विगता तृष्णा यस्यासी)ने आमभोगनीता भटी नयी अविज्ञातमविदितं कर्म क्रियाव्यापारो मनो ते. जिसकी काम भोग की इच्छा नहीं मिटी बाकायलक्षणो यस्यासौ)ले मन, वयनसने वह. ( One ) whose thirst for यानी प्रवृत्तिनु जान नया ते. मन, वचन sensual pleasure is not quenchऔर काय की प्रवृत्ति के ज्ञान से रहित. (ona) ed. नाया० १; who has no knowledge of the | अवितित्त. त्रि. ( अवितृप्त ) अतृत. तृप्ति से processes of mind, speech रहित. Unsatisfied; not satisfied. and body. श्राया० १, १, १, ८, परह. १, ४, -~~-धम्म. त्रि. ( -धर्म ) धर्मज्ञानरहित; | अवितिय. त्रि. (अद्वितीय) नुस। अविधनुं २१०५ देना नपामांनी ते. धर्म | इय' श६. देखो ‘अविइय' शब्द. Vide शान रहित; धर्म का स्वरूप जिसने नहीं जाना । "अविइय. " भग० १२, १; वह. ignorant of the real nature विटलकड.त्रि० (अद्विदलकृत) ४८४ना of religion. भग० ८, १०; કરેલ; છડયા વગરનું; જેની દાળ કરવામાં अवितक्क. त्रि. (अषितर्क-न विद्यते वित- | भावीनथी ते. टुकड़ा न किया हुआ; जिसके र्कोऽश्रद्धानक्रियाफलं देहरूपो यस्य भिक्षोः | दो भाग न किये गये हों वह. Not reduced सोऽवितर्कः) पुतलित; पण विचार | to pieces; not ground, e.g. pulse २खित. कुतर्क रहित; अच्छे विचारों वाला. | etc. पाया० २, १, १, २; Free from bad or irreligious | अविदिरण. त्रि. (अविदत्त) सी . नहीं thought. “ सुसमाहितसस्स, अवित- दिया हा. Not given. बव० १, २२; कस्स भिक्खुणो" दसा० ५, ३१; ३२; । ६, १; निसी० ४, २७; १६, २५; भत्त० १०२; अवितह. त्रि० (अवितथ ) सत्य; सायु; मरु; अविद्धकरणय. त्रिक (अविद्धकर्णक ) डान वास्तवि:; यथार्थ. सस्य; सञ्चा; वास्तविक. विध्या परनी. बिना बिंधे-छिदे हुए True; correct; proper. जं० प० २, Marii arat. (One) with ears ३१; सु० २० ४, २४०; ओव० १६; ३२;| upperforated. भग० १५, १; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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