Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 524
________________ प्रवेउब्वियसरीर ] (४४४) [ अयोगडा अवेउब्वियसरीर. पुं० ( प्रक्रियशरीर) अवेयइसा.सं० ०अ० (अवेदयित्वा) वेघा १२; २५१२२ १२. अलंकार रहित शरीर. | | भोगल्या ॥२. अनुभव किये बिना; विना भोगे. Body devoid of ornamonts. Without having experienced. भग० १८, ५; भग० १, ४; सम० ५० १६४; परह. १, १ अवेक्खमाण. व. कृ. नि. (अवेक्षमाण ) अवेयग. पुं० (अवेदक) मा “ अवेद " निरीक्षण ४२तो. निरीक्षण करता हुआ. श६. देखो “अवेद" शब्द. Vide. 'अवेद.' Looking into;observing. नाया० १; ठा० ४, ४; क. गं. ६, ५१; क० ५० ५, ६५; अवेक्खयंत. त्रि. (अवेक्षत् अवेक्षमाण) । “ अवेक्खमाण" श६. देखो | अवेयण. त्रि. ( अवेदन-न विद्यते वेदना 'अवेक्लमाण' शब्द. Vide 'अबेदखमाण.' यस्य सोऽवेदनः ) साता, २५२१॥ता वेदनारहित; नाया० १, सि६. साता, असातारूप वेदना से रहित; सिद्ध. अवेक्खा. स्त्री० ( अपेक्षा) 41; माशय; | (The soul) free from the feeling द्रव्य, क्षेत्र, ५, सार महिना अभिप्राय. of pain and pleasure; (the soul) अपेक्षा; माशय; रुग, क्षेत्र, काल, भाव धादि that has obtained salvation, का अभिप्राय. Expectation; desire; विशे० २१२७; पन्न. २; aim; intention. विश० २५.५; १७१६; अवेरमणज्माण. न. ( अविरमणध्यानपंचा० ५, ४२; पिं० नि० ४४२; न विरमणमविरमणम् , तस्य ध्यानम् ) अवेत. नि. (अपत ) गु; जिन्न जुदा; निश; ५५५ - निवृत्त या यान. पाप से निवृत्त पृथक् . Different from; separated न होने का ध्यान. Meditation upon from. विशे० २२१३; non abstention from sin. 2150 अवेद. पुं० ( अवेद ) ५.५३०, २त्रीवे, आदि अवेहिया. सं० कृ० अ० ( अवेषय ) नन; દરહિત છવ; દસમા ગુણદાણથી માંડી સિદ્ધ यंत १०५.पुरुषवेद,स्त्रोवेद श्रादि वेद रहित जीव; याबायाने. देखकर; श्रालोचना करके. Having seen or observed. दसवे गुणस्थान में सिद्ध पर्यन्त जीव. A soul free from Purusa-Veda,Stri-Ve. सूय. १, २, २, ८; da etc; a soul between the tenth अवोगड. त्रि. (अव्याकृत) विभाग नलि पास Gunasthāna and final emancipit मायाताये ५९या नवी. अविभाजित; tion; a soul free from sex-feeling. सगा संबन्धियों द्वारा न बांटा हुआ. Not divided intoshares. सम० ३३; वव. ठा० २, १; पन्न. २; जीवा० १; भग० १७, २; अवेदन--य. पुं० (श्रयेदक ) । 'अवेद' ७, २२; (२) त्रि. विशेषणाया मेहन श६. देखा "अवेद" शब्द. Vide "प्रवेद". पास. विशेषणों द्वारा जिसका भेद न किया भग १, ३१; १८, १; २५, ६; २६, १; गया हो वह. not distinguished by श्रवेदग. पुं० ( अवेदक) गुमे "अवेद" श५-६. adjectives; not differentiated देखो “ प्रवेद " शब्द. Vide " अवेद." by adjectives सम० ३३; ठा० २, १; ४, ४; पण्ह० १, २; भग० ६, | अवोगडा. स्त्री० (अव्याकृता) २ अर्थ ४८, २, ११, १; २६, १; ३०, १; वाणी माया अथवा अन्य11-२५४ अक्षर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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