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श्ररणउत्थिय ]
को दूसरे का व्यपदेश करना जिससे साधु न लें इससे जो बारहवें व्रत का तीसरा प्रतीचार लगता है वह. attributing falsely to another the ownership of a thing belonging to oneself; the third violation of the twelfth vow viz. telling this kind of lie to an ascetic. प्रव० २८७; - संभोरा त्रि० ( - साम्भोगिक ) अन्य બીજા ગચ્છના સાધુસાથે આહારપાણીના व्यवहारवाणे. अन्य गच्छ के साधुओं के साथ अन्न जल का व्यवहार रखने वाला. one who keeps relation os regards. food and drink with a Sadhu of another order. वव० १ ३७,
उत्थिय. पुं० (श्रन्ययूथिक - जैनयूथादन्ययूथं सङ्घान्तरं तीर्थान्तरं तदस्ति येषां तेऽन्ययूथिकाः ) तीर्थान्तरीय; नेतरा नैनशिवायना भनान्तर- शाम्य, य२४, परिमाण, उपि, आवड, वृद्धश्रवड वगेरे. अन्यधमी; जैनतर; जैन सिवाय अन्य मतान्तर - शाक्य, चरक, परिवाजक, कपिल, आजीवक, वृद्ध, श्रावक आदि. One belonging to a non-Jaina creed such as, Sakya, Charaka, Parivrājaka, Kapila, Ajivaka, Vriddha-śrāvaka etc. CC तस्सणं गुण सिलयस्स चेइयस्स दूरसामंते बहवे अणउत्थिया परिवसंति " भग० ७, १०; 'अण्णउत्थियाणं भंते ! एवमाइक्खंति. एगेणं समएणं दो श्राउयाई पकरेइ "भग ० ३६; " श्रणउत्थियाणं भंते ! एवमाइक्खंति चलमा प्रचलिए जाव निजरिज्जमाणे श्रनिज्जिरणे” भग० १, १०; " राण उत्थियाणं...... एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरिया पकरेह "भग० १, १०; " श्ररणउत्थियाणं भंते ... . कहनं समणाणं निग्गं
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था किरिया कज्जति ठा० ३,२; "अण्णउत्थियां भंते !... श्ररणे जीवे श्रएणे जीवाया" भग० १७, २,२, १, ५, ५, २, ७, १, १५, १; १८, ७; नाया ० ११; आया • २, १, १, ४, श्रांव ० उवा ०१; सम• १; १२, ३४; निसी० ३, ४; १२, १६ : - देवय न० ( - दैवत ) अन्यमतिमोमे माने रिडराहि हेव अन्यमतियों द्वारा मान्य हरिहरादि देव a god of nonJaina creeds e. g. Hari, Hara etc. उवा० १, ५८--1 - परिग्गहिय. त्रि० (- परिगृहीत) अन्य तीर्थियो ग्रहण रेल; अन्यमति पोतानुं री सील. अन्य धर्मावलम्बियों द्वारा ग्रहण किया हुआ; जिसे अन्यमतियों ने अपना कर लिया हो वह. adopted by followers of nonJaina creeds. उवा० १, ५८ अराणो. अ० ( अन्यतस् ) मी स्थ. दूसरे स्थान पर. At another place; else - where. नहु दाहामि ते भिक्खं, भिक्खू जायाहि श्रणश्रो” उत० २५, ६; नाया ० १ ; अरणतर. त्रि० ( श्रन्यतर) भुभे। "अरणयर"
६. देखो मरणयर शब्द. Vide "श्रराणयर." पन्न० २८ श्रव० १७; नाया• १४; अण्णतित्थिय. पु० ( अन्यतीर्थिक ) अन्य भति; અન્યદર્શની; જૈનેતરદર્શનવાળા. अन्य मतावलम्बी; जेनेतर दर्शन वाला A non-Jaina. सम०२६; - पवत्ताणुओग. पुं० (- प्रवृत्तानुयोग ) अवि शास्त्र; पापश्रुतविशेष. कपिलादिकों का प्रवर्ताया हुआ शास्त्र; पापश्रुतविशेष. a scripture taught by non Jainas like Kapila etc; a variety of tainted scripture. सम० २६; अण्णत्तभावणा. स्त्री० ( अन्यत्वभावना )
દેહથી આત્મા જુદે છે એમ ચિંતવન કરવુંभावना भावते. देह से आत्मा भिन्न है इस
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अण्णत्तभावणा ]
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