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अम्माल ]
( ३३६)
[ अभितर
establishing an apostate in true इवा" ठा० ४, ४;-यत्तिय. न. religion and then entering (-प्रीतिक ) शुरु साहिनी पासे मेस. into social relations (e. g. વામાં પ્રીતિ રાખવી તે; લોકપચાર eating and drinking ) with विनयने। ये प्रा२. गुरु आदि के समाप him; a variety of Sambhoga. बैठने में प्रीति रखना; लोकोपचार विनय का सम. ;-गुण. पुं० (-गुण) पूर्वना एक भेद. delight in the company અભ્યાસજન્ય સંસ્કારથી ઉત્પન્ન થએલ of a Guru ; fondness for sitting ગુણ-જેમ બાળક જન્મતાં, શીખવ્યા વિના near a preceptor. भग० २५, ७; ५९५ रतनपान रे छे याह. पूर्व के | -वित्ति. स्त्री० (-वृत्ति ) नरेंद्र माहिनी अभ्यासजन्य संस्कारों से उत्पन्न गुण, जैसे | पसे मेसते. नरेन्द्र-राजा आदि के पास बिना सिखाये बालक उत्पन्न होते ही | बैंठना. sitting or remaining स्तनपान करने लग जाता है. यह उसके | in the proximity of a king पूर्व अभ्यास का संस्कार-गुण है. intuitive , etc. दस ० ६, 1; qualities; qualities born of | अब्भाहय. त्रि. ( अभ्याहत ) पास impressions in a past birth.) हुपया लाय. पीडित; दुःख से सताया पाया० नि० १, ३, १, १७२;-वत्तिय. हुआ. Struck with pain; afflictन० (-वर्तित्व-अभ्याशो गुर्वादिसामीप्यं तत्र ed with misery. " अभाहयंमि पतितुं शीलमस्येति तद्भावस्तत्वम् ) लोगंमि, सम्वो परिवारिए " उत्त• १४, Yuiltी पासे-७५ मेस ते; सो५या विनयने से अ.१२. गुरु आदि के अभिग. पुं० (अभ्या) ते माहिया मन समीप-नज़दीक बैठना; लोकोपचार विनय ४२ ते. तेल आदि स मर्दन करना. Rubhका एक भेद. sitting in the proxi- ing the body with oil etc. प्रोव० mity of a preceptor ete; a kind | ३१; नाया० १८; विवा० १; of formal reverence paid to a / अभिगिय. त्रि० (अभ्यङ्गित) गुमे। 'अब्भंGuru etc. भग० २५, ७-वत्तिय. गिय ' श६. देखो ' अभंगिय । शब्द. त्रि०(-प्रत्यय-अभ्यासो हेवाको वर्णनीयास- | , Vide — अभंगिय'. नाया० १; अता वा प्रत्ययो निमित्तं यत्र तसथा) अभ्यास- अभितर. त्रि. ( अभ्यन्तर ) मे 'अभंવર્ણનીય પુરુષોની પાસે રહેવું, તે નિમિ- तर' श६. देखो 'अभंतर' शब्द. Vide ત્ત છે જેમાં એવું સગુણોનું દીપાવવું વગેરે. 'अभंतर'. नाया. १; १८; भग० २,६; अभ्यास वर्णनीय पुरुषों के पास रहने का ५, १; १४, २; सु. च० १, ३६१; पन्न. निमित्त है जिसमें ऐसे सद्गुणों को प्रकाशित क- १५; भत्त० १३१; कप्प०३, ३२; प्रव०२७२; रना इत्यादि. adorning or illumining | अभितर. वि० (प्राभ्यन्तर-अभ्यन्तरे भवमाvirtues by coming into contact भ्यन्तरम् ) सं२र्नु, मांतरि५. आन्तरिक with saints and sages. 'चउहिं । भीतर का. Inward; internal. 'सम्वठाणेहिं संते गुणे दीवेजा तंजहा-अब्भास
भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता' ज. प. वत्तियं परछंदाणुवत्तिय कजहेउं कयपडिकए- ५,११६; (२) पुं० न० सांत२ि४ त५; प्राय
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