Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 456
________________ अमायत्त ] " श्रमायत्त न० ( अमायत्व ) समाविष भायानो भाव. माया का प्रभाव. Abse nce of guile or deceit. भग० १, ६; श्रमाथि त्रि० ( श्रमायिन् ) लुओ 'अमाइ २६. देखो 'अमाइ' शब्द. Vide " श्रजाइ". भग० ५, ४; १८, ५; २५, ७; - - सम्मदिहि. पुं० (-सम्यग्दृष्टि) भायारडित सभ्यम् दृष्टिवाणी लव; मुटितारहित समट्टिती. मायाछल कपट रहित सम्यग्दृष्टि जीव a soul full of guileless right faith. भग० १, २, ३, ६, १६, ५; श्रमावस्सा. स्त्री० ( अमावस्या ) अभावस अमावस. The last day of the dark half of a month. प्रव० १५६६; ( ३७६ ) जं० प०- -चंद पुं० (चन्द्र ) अभासनो चंद्रमा अमावस्या का चंद्र a moon on the fifteenth day of the dark half of a month. नाया० १०: प्रव० १५६६; अमावासा. स्त्री० ( श्रमावास्या ) सभावास; कृष्णु पक्षनो छेो दिवस. अमावस्या; अमावस; कृष्ण पक्ष का अन्तिम दिन. The last day of the dark half of a month. दुवास अमावास प० तं सावट्ठी पोवती जाव ग्रासादी " सू० प० १०; "जयाणं भंते! साचिट्ठिपुरिणमा नवइ तयाणं माही अमावासा भवद " जं० प० ܕܥ १५३; वन० १०, २ कप्प० ५, १२७; श्रमिज़. न ० ( अमेय ) भुभो 'अमेज' शब्द. देखो 'अमेज' शब्द. Vide " श्रमेज. कप्प० ५, १०१; Jain Education International ور श्रमि मे.ज. त्रि० ( श्रमेय ) आपण वस्तु માપીને આપવાની-ક્રય વિક્રય કરવાની અમુક સમયમાટે જ્યાં મનાઈ કરવામાં આવી છે मेवं नगर वगेरे. ऐसा नगर वगैरह, जहाँ किसी भी वस्तु को नापकर क्रय विक्रय करने की श्रमुक समय तक के लिये मनाही की गई हो. ( A city etc.) prohibited from buying or selling any thing by For Private [ श्रमिय a measure of capacity. जं० प० ३; भग० ११, ११; अमि-मे-ज्झ. न७ (अमेध्य ) विठा; अशुभि. विष्टाः मल; अशुचि Filth; dirt तंडु • - पूरण. त्रि० (पूर्ण) अशुभिथी भरेल. अशुचि से भरा हुआ. full of filth; filthy. तंडु० - रस. पुं० ( रस ) प्रवाही विठा; अशुभि २स. बहने वाली विष्ठा; अशुचि रस. liquid excrement. तंडु• --संभूय. त्रि० (-सम्भूत) विष्टभांथी उत्पन्न थमेस. विष्ठा में से उत्पन्न. produced from excrement or filth. तंडुं० अमिज्झमय न० (श्रमेध्यमय) विश्रामय; अशु विभय विष्ठामय; अशुचियुक्त. Filthy; full of filth. तंडु० श्रमित्त न० ( श्रमित्र ) यदित २नार; हुस्मन. अहित करने वाला; शत्रु; दुश्मन. An enemy; a foe. ठा० ४, ४; नाया ० १४; अमिय पुं० ( अमृत ) न भरवान धर्म नथी ते; सिद्ध भगवान् जिसका मरने का धर्म नहीं है वह सिद्ध भगवान्. A Siddha; one not subject to death. पन्न० २; ( २ ) न० अमृत; सुधा. अमृत; सुधा. nectar. भग० ६, ३३; सम० प० २३२; गच्छा ० ४६; भग० अमिय त्रि० (अमित-न मितं परिमितमभितम् ) અપિરામત; પરમાણુરહિત; અસંખ્યેય વા अनंत असीम परिमाण रहितः असंख्य; अनन्त. Unlimited innumerable. "केवली... मियपि जाणइ श्रमियंपि जाणइ " ५, ४, ६, १०; उत्त० ३२, १०४, कप्प ० २, ३४; ( 3 ) हक्षिण तरइना हिशा भार हेवताना ४न्द्र दक्षिण की ओर के दिशाकुमार देवों का इन्द्र the Indra of the Disakumara gods of the south. पन्न० २ - श्रासयि. पुं० ( - चासनिक ) वारंवार डा महावनार Personal Use Only www.jainelibrary.org

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