Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 415
________________ अमंग] ( ३३५) [ अभंतर colour of twilight. पन्न० १७:---रु- ४२ ते. तेल श्रादि से मर्दन करना. Rubbक्ख.पुं० (-वृक्ष) वाणांनुसाउने आगरे । ing the body with oil etc. विशे० परिणमेला वाण. झाड़ के आकार में परिण १६४१; मित बादल. a tree-shaped cloud. | अभंगण. न. (अभ्यम्जन) तेन पगेरे अणुजो० १२७; भग० ३, ७, ८, ६; जीवा. योगाने भईन १२ ते. तेल आदि लगा३;-बद्दलय. न० (-वादलक-वारो जलस्य । कर मालिश करना. Rubbing the body दलकं वादलकं अभ्ररूपं तत्तथा ) पावाणां with oil etc. नाया. १; परह० २, ४; पाहण. पानी वाला बादल. clouds filled श्राया० १, ३, ४, २; ओघ० नि० ५४६; with water."अब्भवद्दलए विउच" | अभंगावय. त्रि. (*अभ्यङ्गापक ) तेल योगराय. ३४, भग० १५, १; ठा० ३, ३, ना२; भईन १२ना२. तेल चुपड़ने वाला; -संघट्ट. पुं० (-संघट्ट ) पानी घटा. मालिश करने वाला. One who rubs बादलों की घटा.thick or dense clouds. | the body with oiletc. निसी० १, २४; ठा. ४, ४--संज्झा . स्त्री. (-सन्ध्या) अभंगिय. त्रि. (भ्यजिस ) ते माहिया સંધ્યા સમયે રંગ બેરંગી વાદળ દેખાય છે भान रेस. तेल आदि से मर्दन किया हुआ. ते; पानी संध्या. संध्या समय जो रंग बेरंग ( One ) with body smeared or थादन दिखते हैं वह वादलों की संध्या.party- rubbed with oil etc. 'अभंगिए coloured, chequered clouds समाणे" नाया. १; १६; कप्प. ४, ६१; at the time of twilight. जीवा० ३; पिं०नि० ४२३; -संथड़न० (-संस्तृत) वायी साशन | अभंतर. त्रि. (अभ्यन्तर ) मंE२; मात; ७१/ ते. बादलों से आकाश का छा जाना. माहिती १२, २६२ लास. अंदर; भीतर; being overcast with clouds fratt fe fer. Internal; interior. (e. g. the sky ). ठा० ४, ४; जीवा० ३, १; सू० प० १; भग० ११, ११; Vअभंग. धा. II. ( अभि+अ ) महन अोव• अणुजो० १३२; निर० १, १; पंचा. १२ तेस कोरेथा शरी२ योगg. मालिश १३, ४८; जं. ५०-ठावणिज. पुं० करना: तेल श्रादि से शरीर मलना. To rub (-स्थापनीय ) संगत ना४२; संगत माणुस; the body with oil etc. गुरी.निजी नोकर; खास श्रादमी.a perअम्भंगेइ. नाया० १; १६; sonal attendant. 'अभंतरठावाणिज्जे अभंगंति. सु. च. २, १७१ पुरिसे सहावेह"विवा० १; नाया० १२; १४; अभंगेति. जं० प० ५, ११४; -तव. न० (-तपस-अन्तरस्यैव शरीरस्य अभंगिज्ज. वि. श्रआया० २, १३, १७२; सापनास्सम्यगरष्टिभिरेव तपस्तया प्रतीभब्भंगेजा. वि. निसी० १, ५, यमानस्वाञ्चाभ्यन्तरं तच तत्तपश्च तथा ) श्रब्भंगेत्ता. सं. कृ. ठा० ३, १; મોક્ષને અંતરંગ હેતુભૂત પ્રાયશ્ચિત્ત આદિ છ मम्भंगित्तए. हे. कृ. वेय. ५, ४०३ शानुंतप; सांतरित५. मोक्ष का अन्तरंग अम्भंगत. व. कृ. निसी० १,५; हेतुभूत प्रायश्चित्त श्रादि छः प्रकार का तप; अभंगावेइ.णि सु० च०४, ७६; विवा०६; अन्तरंग तप. sixfold austerity अभंग. पुं० ( अभ्या ) ते माहिया महन leading to Moksa;e.g. expiatory Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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