Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 398
________________ अप्प ] a कारण क्रोध या गुस्से से न बोलना not shouting with a view to quarrel. श्रोव० - ससरक्ख. त्रि० ( - सरजस्क ) २०- रे। अदीने साई सुइरेल. कचरा निकालकर साफ़ किया हुआ. cleansed by the removal of dirt. आया० २, २, १, ११०; —सागारिय. त्रि० (-सागारिक ) द्रव्यादिश्री रहित द्रव्यादि से रहित not possessed of wealth etc. वेय० १, २४; - सावजकिरिया. श्री० (-सावद्यक्रिया ) मां सावधानिया थोडी छे खेपी वसतिस्थान. जिसमें पाप क्रिया थोड़ी हो ऐसी बस्ती - स्थान. residence with very few sinful actions in it. आया० २, २, २, ८६; — सुन. त्रि० (-श्रुत ) शास्त्र - भागभने। अनथु; थो ं न्नायुनार, पयज्ञ. शास्त्रों को थोड़ा जानने वाला; अल्पज्ञ ignorant of scriptures; possessed of meagre knowledge. उहरे इमे श्रप्पसुपत्ति णचा" दस० ६, १, २; वव० ६, २; - सुह. त्रि० ( सुख ) धोएं मुम भापनार; नहि सुख ने मां छे ते. थोड़ा सुख देने वाला; नाममात्र का सुख जिसमें है वह. giving but little happiness. परह० १, १ - हरिम. त्रि० (- हरित) यां હરિત-વનસ્પતિ નથી તેવું; વનસ્પતિરહિત. जहां हरी वनस्पति नहीं हो वह (स्थान); वनस्पति रहित. free from green vegetation वेय० ४, २६; " प. पुं० ( आत्मन् - अतति सततं गच्छति विशुद्धिसंक्लेशात्मक परिणामान्तराणीत्यात्मा ) छत्र; आत्मा; येतन; स्वयं; पोते; पंडे. जीव; आत्मा; चेतन; खुद ब खुद स्वयं Consciousness; soul; self; oneself. "अप्पणा चैव उदीरेष्ट भग० १, ३; Jain Education International ( ३१८ ) " For Private "" अप्पणा अप्पयो कम्मक्खयं करितए नाया• ५; " अप्पणो भासाए परिणामेणं 'अप्पा गई वेयरणी, अप्पा मे कूडसामली " उत्त० २०, २६; पिं० नि० भा० ३०; विशे० १५६; १५६८; निसी० १३, ३०, १५, ११ दस० १, २, ६, २२, कप्प० १, ७; गच्छा ० ६६, आव ० १, ३, नाया० ७, १६; भग १५, १; दसा० ५ १६; वव० २, २७; ५, ११; ८, १२; अप्पाणं. द्वि० ए० उत्त० १, ६; २६; जं० प० ३, ६८; नाया० १४; निसी० ११, १३; अपणा. तृ० ए० वेय० १, ३३; 64 [ श्रप्प Personal Use Only " ور ४, ११, १२, भग० २, ५; २४, १; २३; नाया ० २; दसा० १०, ७; अप्पयो. ष० ए० ओव० ३४; सूय० १, १, १, ३; अणुजो ० १६४; दस० ४; नाया० १; ८; वेय० ४, २५; उत्त० १०, २८; भग० ५, २, ६, १५, १; १७, १; १८, ८ भत्त० ३६; पंचा० ६, ५०, दसा० ६, १२, पन्न० २२; निसी० ३, ३४; १६, १७ अप्पे स० ए० उत्त ६, ३६, – अभिणिवेस. पुं० ( - अभिनिवेश) પુત્ર, કલત્રાદિકમાં તાપણાના આગ્રહ; જે વાસ્તવિક રીતે પેાતાના નથી તેને विषे आग्रहपूर्व ममत्व रामकुं ते. जो वस्तुएं वास्तविक रीति से अपनी नहीं हैं उनमें श्राग्रहपूर्वक ममत्व रखना; पुत्र, कलत्र आदि में अहंभाव excessive attachment to family, worldly possession etc. which are not really a part of one's self or soul. नंदी ० -- उपमा. स्त्री० (-उपमा ) आत्मतुझना; पोतानी उपमा आत्मतुलना; अपने आपकी उपमा. comparison with one's own self सू० १, ११, ३३; - उस्सुय. त्रि० (- उत्सुक ) भीलनी સંપત્તિની અવગણના કરી પોતાની સંપત્તિને विशेष भाननार; आत्मप्रशंसा २नार, दूसरे www.jainelibrary.org

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