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A Siddha; a soul that ascends to the region of Siddhahood without touching the intervening space. • उज्जूसेढिपडिवने अफुसमाणगई उड्डुं एकसम एवं श्रविग्गणं उगता सागारोवडते सिज्झिहित्ति " श्रोव० अफेराग. त्रि० ( अफेनक ) ही विनानुं. फेन बिना का. Having no froth or foam; frothless. प्रव० ८०२; अबंध. पुं० ( प्रबन्ध ) दुर्मना धनो अभाव कर्मबन्ध का प्रभाव. Absence Karmic bonds. क० गं० २, ५, ५, ५७; - ठिइ. स्त्री० (-स्थिति) मनो मंध न होय ते पनी स्थिति कर्म का बंध न हो उस समय की स्थिति condition or state at the time when there is no Karmic bondage. क० गं० ५, ५७; श्रधग. त्रि० ( श्रबन्धक ) उर्मने न धनार; આ કર્મ પૈકી એક, એ અથવા સર્વને ન આંધनार. कर्मबंध न करने वाला; आठ कर्मों में से एक, दो या सब कर्मों को न बांधने वाला. Not incurring the bondage of Karma partially or wholly भग०
( ३३१ )
८६११, १; २१, १, २५, ३; ६; क० गं० ४, ६२; अबंधव त्रि ( अबान्धव ) धुनरहित; मनाथ निराधार बन्धुजन रहित; अनाथ; श्राव रहित. Having no friends and relatives; helpless. परह० १, १; नाया० ६; पि० नि० ४४६; अबंधित्ता- तु. सं० कृ० अ० ( अबध्वा ) न पांधीने. न बांधकर Without having tied or fastened. क ० प० २.
१०४; १०५;
अवंभ. न ० ( श्रब्रह्मन् ) अश्रयर्य; मैथुन; विषय सेवन. मैथुन; ब्रह्माचर्य का
अभाव;
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[ श्रवज्झमाणी
विषय सेवन. Absence of chastity ; sexual intercourse. 'अट्ठारसविहे श्रबंभे श्रोरालिश्रं च दिग्वं पराह०१, ४; “जंबू ! अबंभं च चउरथं सदेव मयासुरस्स लोयस्स पत्थणिज्जं पंकपणापासजात भूयं त्थं अहम्मदारं " पराह०
१००२; पंचा
१, ४, आव ० ४ ७; प्रव० १, ४६; १०, ३; पराह० १, ३ - वज्जण. न० (- वर्जन ) मैथुन विषय सेवानी त्याग खाते; श्रावनी छुट्टी पडिभा. मैथुनविषय सेवन का त्याग करना; श्रावक की छठी प्रतिमा. abstention from sexual enjoyment; the sixth vow of a Jaina. पर६० १, १;-सेवण. न. ( सेवन ) सहा - मैथुन सेवयुं ते; विषय सेवन ४२ ते. विषय सेवन
करना. sexual enjoyment. 'तहेव हिंसं श्रलियं, बोज्जं सबंभसेवणं' उत्त० ३५, ३; श्रभचरिय न० ( श्रब्रह्मचर्य ) श्रन्यर्यने।
भावः मैथुन सेवन. ब्रह्मचर्य का प्रभाव; मैथुन सेवन. Absence of chastity; sexual intercourse. ' श्रबंभचारयं घोर, पमायं दुरहिट्टियं ' दस० ६, १६; अभयारि त्रि० ( श्रब्रह्मचारिन् ) अलयारी; श्रह्मयारी नहि. ब्रह्मचारी, ब्रह्मचर्य से रहित. Not abstaining from sexual intercourse. दसा० ६, १२; श्रवज्झमाणी. स्त्री ० ( श्रबध्यमाना ન બંધાય તેવી કર્મપ્રકૃતિ; જેને ઉદય થાય પણ બંધ न थाय, देवी समतिमोहनीय, मिश्रभे!हनीय वगेरे. न बंधने वाली कर्मप्रकृति, जिसका उदय होता है परन्तु बन्ध नहीं होता, समकित मोहनीय, मिश्रमोहनीय श्रादि Karmie nature i. e. Karma which has got no Bandha (bondage with soul) but which has got Udaya
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