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अपराजिया-मा]
( २६६ )
[ अपरिखेदितत्त
अपराजिया-प्रा. स्त्री० (अपराजिता ) मा- पर आरूढ हुए थे उस पालकी का नाम. name
१२७ विशयनी भुन्य यानी. महावच्छा। of the palanquin of the eighth विजय की मुख्य राजधानी. The capital | Chandraprabha--Tirthankara of Mahāvachcbhavijaya. “ दो | in whic he sat at the time of अपराजियाभो” ठा० २, ३; जं० प० (२) taking Diksa. सम० ७३; वाती विशयनी यानी. वप्रकावती अपराह. पुं० (अपराध ) गु-हा; 24पराध. विजय की राजधानी. the capital of | अपराध; गुन्हा. A fault; a crime. Vaprakāvativijaya. जं. प० (3) महा०प० ११ ६शमनी रात्रिन नाम. दशमी की रात्रि का अपरिपाइत्ता. सं० कृ० अ० (अपादाय) नाम. name of the night of the अक्षय या विना. ग्रहण किये बिना. Withtenth day of a fortnight. sto go out having taken or accepted. सू० ५० १०; (४) नमिरिनी उत्तर ___ " बाहिराई पोग्गले भपरिभाइत्ता" भग० त२५नी ०७२४४ी-चावडीनुं नाम. अंजनगिरि ३, ४, २५, ७; की उत्तर दिशा की ओर की वाचड़ी का नाम. अपरिकम्म. त्रि. ( अपरिकर्मन् ) । name of a well to the north of 'अप्पांडिकम्म' श६. देखो 'अप्पडिकम्म' Anjanigiri. प्रव० १५०३: जीवा० ३, शब्द. Vide 'अप्पडिकम्म'. उत्त० ३०, ४; (५) गा२४ माखनी २५मालयी. १३; भंगारक महाप्रद की पट्टरानी का नाम. the
अपरिक्कम.त्रि० ( अपराक्रम ) ५२मरहित; crowned queen of Angāraka
सामाविना. पराक्रम रहित; सामय रहित. planet. भग० १०, ५; ठा० ४, २: ( ) |
___ Unheroic; powerless. " तएणं तुम या महायानन्यायी मारी.सव महाग्रहा मेहा...त्थामे अबले अपरिकमेनाया० १; को चौथी पट्टगनी. the fourth princi- | pal queen of all large planets. |
अपरिकख. सं० कृ० भ० (अपरीक्ष्य) परीक्षा ठा० ४, १; जीवा० ४, १; (१) सयपर्वत
याचिना; नपारया विना. परीक्षा किये बिना; पासी भी दिशाभारि १. रुचकपर्वत पर
Hiaat. Without having examin
ed. सूय. १,७,१६%3 रहने वाली पाठनी दिशाकुमारी. the eighth | Disikunuiri residing on the / अपरिक्ख ऊण. सं. कृ. अ. ( अपरीचय ) Ruchaka mountain. जं० ५० ५: ५। न शन; तपा२या विना. परीक्षा न ( ८ ) मामा व सानेपासवनी मातान करके; बिना जाँचे. Without having नाम. आठवें बलदेव और वासुदेव की माता का examined. सु० च० ३, १६६; नाम. name of the mother of the | अपरिखेदितत्त. न० (अपरिखेदितत्व ) सनाeighth Baladeva and Vasudeva, યાસે ઉત્પત્તિરૂ૫ ૩૪ મો વચનાતિશય. सम० प० २३५; (८) २४भा यंद्रप्रमतीर्थ- अनायास उत्पन्न होने वाला वचन; वचन का કર દીક્ષા લેતી વખતે જે શિબિકા-પાળખીમાં ३४ वाँ अतिशय. The thirty-fourth सेतात पाणी नाम. आठवें तीर्थकर Atiśaya of speech viz. speech चंद्रप्रभस्वामी दीक्षा लेते समय जिस पालकी without effort. ओव.
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