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अपमाइ ]
( २६७ )
- संजयगुणद्वारा. न ० ( संयत गुणस्थान ) સાતમો ગુણસ્થાનકનું નામ; અપ્રમત્તસંયત नामे गुहा. सातवें गुणस्थान का नाम. the seventh Gunasthana so named प्रत्र० ३२४; अपमात्र त्रि. ( श्रप्रमादिन् ) प्रभाही; प्रभाहरति प्रमाद रहित. Free from negligence or idleness. क० गं० ५,
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७०;
अपमाण न० ( श्रप्रमाण ) प्रमाणुधी भिन्न; प्रामाण्यरहित प्रमाण से रहित Any thing not in harmony with the fixed standard परह० २, ३ ( २ ) પ્રમાણ ઉપરાંત આહાર કરવાથી સાધુને લાગતા એક દોષ; આદ્વારને બીજો દેખ. प्रमाण से अधिक भोजन करने से साधु को लगने वाला दोष आहार का दूसरा दोष. a fault incurred by a monk by cating beyond a fixed limit; the second fault connected with eating. परा० २.३ - भोइ त्रि०. ( - भोजिन् ) त्रीश उपाधी वधारे मदार १२२. बत्तीस कवल कौर मास से अधिक भोजन करने वाला. (one) eating more than_thirty-two morsels of food. पण्ड़० २, ३: अपमाय. पुं० ( श्रप्रमाद ) प्रभानो सभावः ખત્રી યાગસંગ્રહમાંને ૨૬ મે ચેાગસંગ્રહ. प्रमाद का अभाव बत्तीस प्रकार के योगसंग्रहों में से २६ वाँ योगसंग्रह. Absence of Pramada i. e. entertaining passions etc. through inadvert. ance ; the twenty-sixth of the thirty-two Yogasangrahas. सम० ३२ पंचा० १, ३५ - पडिलेहा. स्त्री० (:- प्रतिलेखा - प्रत्युपेक्षणा ) प्रभाव ३.८
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વજીને પડિલેહણ કરવું તે; " अणच्चाविय ઇત્યાદિ छ પ્રકારે પડિલેહણ કરવું તે. प्रमाद छोड़कर पडिलेइण करना; अरणचात्रिय इत्यादि छः प्रकार से पडिलेहण करना. careful inspection of garments etc. ठा० ६६ - भावणा. स्त्री० ( - भावना ) મદિરા આદિ प्रभा सेवन न ते मदिरा आदि प्रमाद का सेवन न करना, abstention from such faults or vices as drinking etc. आया०२, १५, १७६; - बुढि स्त्री० (-वृद्धि ) अप्रभाहनी वृद्धिवधा. अप्रमाद की वृद्धि progress or increase of carefulness. पंचा● ५, १३; अपमेय. त्रि० ( श्रप्रमेय ) २६. देखो " अप्पमेय " " अप्पमेय. " पराह० १, ३ अपर. त्रि० ( अपर ) अन्य पूर्वे उडेल बोल तेनाथी हुं. अन्य पूर्वकथित से भिन्नदूसरा. Different निसी० २०, १०; ( २ ) पश्चिम विभाग. पश्चिम विभाग - हिस्सा. latter part; remaining part. राय • ६३, परिग्गहिय - श्र. त्रि० (--परिगृहीत श्रपरैः परिगृहीतोऽपरपरिगृहीतः ) जीन (साधु) ग्रहण उरेल. अन्यद्वारा ग्रहण किया हुआ. accepted by another (monk ). "अब्दोगडेसु अपरपरिग्गहे अपरपरिग्ाहिएसु " वेय०३, २७;
वव ०७, २२;
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[ अपरत
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" अप्पमेय " शब्द Vide
अपरक्कम. त्रि० ( अपराक्रम ) पराभ-सा
भर्थ्यहीन मेनुं गंधास क्षीणु थयुं छे ते. पराक्रम हीन; जिसका जंघाबल क्षीण हुआ है वह. Powerless; incapacitated. नाया ० १, आया० नि० १, ८, १, २६६, भत० ११; अपरत न० ( अपरत्व) अपर परत्वथी
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