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अत्थाह ]
( २५४)
[ अस्थि
३८५ना याय ते अापत्ति. प्रत्यक्षादि अगाध; बहुत ऊंडा-गहरा. Very deep. प्रमाणों से परिज्ञात अर्थ जिसके बिना उपपन्न unfathomable. भग० १,६८, १ न हो ऐसे अदृष्ट अर्थ की कल्पना, जैसे मोटा | नाया० ६; १४; १६; पिं० नि० ३३२; ताजा देवदत्त दिन में नहीं खाता, परन्तु भोजन अस्थाहिगार. पुं. (अर्थाधिकार ) ५४२९५ बिना मोटा ताजा हो नहीं सकता तो रात में વગેરેનું અભિધેય-વિષયઉપક્રમનો એક ભેદ. अवश्य खाता होगा, ऐसा कल्पना करना अर्था- प्रकरण वगैरह का विषय; उपक्रम का एक पत्ति है. An inference used to ac- भेद. The subject or topic of a count for an apparent inconsis. chapter etc.; a sub-division of tency. e. g. from the sentence Upakrama. " अहवा उवक्कमे छम्बिहे “Fat Dovadatta does not dine पएणत्ते, तंजहा-माणुपुब्बी नाम पमा by day” the inference is that णं वतन्वया भत्थाहिगारे; समोभारे " he dines by night. पिं० नि० ४५७; अणुजो० ७०; ५८-जाणभ. त्रि० पंचा. ४,३६-दोस. पुं०(-दोष) ri ( *-ज्ञायक) अर्थन २१०५ परामर અર્થપત્તિથી અનિષ્ટપણની પ્રાપ્તિ થાય ત્યાં સમજનાર એટલે સુધી કે તે અર્થના लागतो सूत्रनो मेष. नोम " ब्राह्मणो न ઉપયોગમાં તન્મય બની જાય; દાખલા તરીકે हन्तव्यः"ये सूत्र मन्यु डाय ते पाही न એક માણસ “ધર્મ” શબ્દના અર્થમાં ઉપમારો ત્યારે અબ્રાહ્મણ-ક્ષત્રિયાદિકને મારવાનું ગવંત હોય, ધર્મનું સ્વરૂપ બરાબર સમજતો અર્થોપત્તિથી આવી પડે છે, કે જે અનિષ્ટ હોય તે તે માણસને શબ્દાદિ નયવાળા ધર્મ છે, માટે ત્યાં અર્થપત્તિ છે. સૂત્ર રચનામાં તરીકે ઓળખે અથવા “ધર્મ' કહી બોલાવે. ते दोष नये. अर्थापत्ति से होने अर्थ का स्वरूप यहाँ तक ठीक ठीक समझने वाला दोष-सूत्रदोष, जैसे कि, “ ब्राह्मणो न वाला कि, उस अर्थ के उपयोग में तन्मय हो हन्तव्यः " अर्थात् ब्राह्मण को नहीं मारना जाय; उदाहरणार्थ एक मनुष्य "धर्म" शब्द के चाहिए, यह एक सूत्र बनाया, परंतु अर्थापत्ति अर्थ में इतना उपयोग वाला हो और वह धर्म से इसका यह अर्थ भी होता है कि, ब्राह्मण का स्वरूप इतना ठीक ठीक समझता हो कि, को नहीं मारना चाहिये पर क्षत्रियादि को उस मनुष्य को शब्दादि नय वाले धर्मरूप ही मारना चाहिए, ऐसा अर्थ अनिष्टकारक होने सममें और "धर्म" कह कर उसे बुलावें. से यह एक दोष है, जो अर्थापत्ति के कारण (one ) thoroughly knowing the होता है, इस दोष को सूत्र रचना में न आने देना meaning and so much absorbed चाहिए. a faulty construction of in it that he is unable to peran aphorism involving by Ar- ceive any thing else properly. thāpatti, an undesired result अणुजो० १४८; 8.g. "a Brahmana should not | अस्थि. अ० (अस्ति) के विधमान; हयाbe killed", here the inference तिभा. है; विद्यमान; मौजूद. Being%3 viz. a non-Brahmana may be ___existent; so it is. " अस्थिणं
killed, is involved. पंचा० ४, ३६; भंते, जीवाणं पाणाइवाएवं किरिया अत्थाह. त्रि० ( अस्ताध ) 04 . | कजह " प्रोब० ३४, भग० १,
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