Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 1
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 198
________________ अज्झोयर] ( १२०) [ अह अझोयर. पु. ( मध्यवपूरक ) २५ अज्झोववज्जणा. स्त्री. ( अभ्युपपादना ) પિતાને માટે રસોઈ કરતો હોય તેમાં સાધુને ! विषय मासति. विषयासक्ति. Attachઆવવાની ખબર સાંભળી વધારે કરી અથવા ment to sensual pleasures. આંધરણુમાં ઉમેરો કરી તૈયાર કરેલ આહાર | “तिविहा भाभोववज्जया जाय अजाणू दि. સાધને આપવાથી લાગતા એક દષ; સોળ | तिगिरछा" ठा. ३, ४; उगमनमानी सोणा होष. गृहस्थ अपने | अझोषवएण. त्रि. (अध्युपपन्न ) विषयमा लिये रसोई बनाता हो उस समय साधु के माने આસક્ત; ગૃહ મંત; જેનું જીવનવિષયાધીન का समाचार सुनकर जो अधिक रसोइ बनाई हाय ते. विषयासक्त; मूर्छिता विषयाधीन हो, अथवा अधान में और मिलाकर जो माहार जीवन वाला. Addicted to sensual तैयार किया हो, वह माहार साधु को देने से जो pleasures. नाया० २, ५, ८, १४, १७; दोष लगे वह; सोलह उद्गमनों में से सोलहवाँ भग० १३, ६; सूय० १, २, ३, ४, दसा. ६, दोष. A kind of sin which a १; भोघ० नि०६००; जं० ५० १, २२, man incurs by cooking more अज्झोववन्न. त्रि. (अध्युपपन) जुमे than what is required for ६५ो श६. देखो ऊपर का शब्द. Vide himself when he hears of the “भज्मोववरण". आया. १, १, ५, ६.; arrival of a Sadhu or an ascetic; अझोववाय. पुं० ( अध्युपपात ) पy the last of the sixteen sins अरय ४२वामा चित्तनी मेहता. कुछ भी called Udgamanas. “ अझोयरमो प्रहण करने में चित्त की एकाग्रता का होना. तिविहो जावत्तिय सघरमीसपासंडे मूलम्मि य Concontration of the mind पुग्वकए प्रोयरई तिरह अट्टाए " पिं० नि. upon the attainment of a thing. २४८; अोव० ४०; “ परस्स अभोववायलोभजपणाई " परह. Vअज्झोववज. धा• I. (अधि+उप+पद्) तन्मय य: प्रायवरतुनी साथे मयसा- | अभंभ. त्रि. ( अझम्झ) सोलखित; भाया यनी ता ४२वी. तन्मय-तल्लीन होना; क्षित. लोभ रहित; माया रहित. Withप्राप्यवस्तु के साथ अध्यवसाय की एकता _out greed. पाया० १, ५, ३, १५३; करना. To be completely absorbed अझंझा. स्त्री० ( अझम्मा ) मायाना मा. in; to concentrate the whole कपट का अभाव. Absence of deceit. thought-activity upon the (२) सही सलाय. झगड़े का अभाव. object to be obtained. absence of quarrel. "न से समे हो अमंझपसे" सूय० १, १३, ६; अमोववजइ. नाया० १७; निसी०१२, ३१ अझोववज्जिजा. विधि भाया०२,१५,१७६; अट्ट. त्रि० (अार्त-अर्सिः शारीरमामसी पीडा, तत्र भव भातः ) शारीरि४ या मानसि अझोववजह. प्रा. नाया० ८; પીડાથી પીડાતે પીડિત થયેલ; દુઃખી. उझोववजिहिति. भवि० श्रोव. १०; शारीरिक या मानसिक पीडा से पीडित. अग्मोववज्जमास. प. कु. निसी० १७, ७; / Afflicted in mind or body. "अटे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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