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अणिहतय ]
(१८७)
[ अणीयस
३, १३५; सूय. १, २, २, ३०; प्रणिहतय. त्रि. (अनिहतक) पात नहि पामेट; नि३५ आयुष्यवाणी. निरुपक्रम आयुष्य वाला; जिसकी आयुष्य घात न हो ऐसा. Not destroyed. सम. मणिहयरिउ. पुं० ( अमिहतरिपु) भदियपुर
ના રહેવાસી નાગ નામે ગાથા પતિની અર સુલતાનો પુત્ર, કે જેનો અધિકાર અંતગડ સૂત્રના ત્રીજા વર્ગના ચોથા અધ્યયનમાં છે. ' भद्दिलपुर के रहने वाले भाग नामक गाथापति की श्री सुलसा का पुत्र, जिसका अधिकार अंतगड सूत्रके तीसरे वर्ग के चौथे अध्याय में है. The son of Sulasa the wife of a petty ruler named Nāga, residing in Bhaddilapura, mentioned in the fourth chapter of the third section of
Antagada Sutra. अंत० ३, ४; मणिहुत. त्रि. (मनिमृत) ७५शांत श्येस नडि; शान्ति रहित. अनुपशान्त; शान्ति रहित. Devoid of peace; not calm. श्रोव० २१; पण्ह. १, ३,-दिय. त्रि. (-इन्द्रिय )नी छद्रियो शांत नथी ते. अशान्त-शान्ति रहित इन्द्रियों वाला. of uncontrolled, excitable senses; with senses not calm. पराह० २, ५;-परिणाम. त्रि. (-परिसाम) शान्ति २क्षित-पायना 6पक्षम २खित परिणामवाना. शान्ति रहित-कषाय के उपशम से रहित परिणाम वाता. possessed of sense-perception, thought etc.; not free from evil
passions. पण्ह. १, १; अणीइ. स्त्री. ( भनीति) पति-अतिवृष्टि,
अनावृष्टि माहिनाअभाव. अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि का प्रभाव. Absence of such |
calamities as too much rain, no rain at all etc. नाया० १;-पत्त. त्रि. ( -पत्र-न विद्यते इतिर्गडरिका. दिरूपा येषु तान्यनीतीनि, अनीतीनि पवाणि येषां ते तथा ) नां ५iasi ७२ वगेरे Yथा पाये-तराये नया ते. जिसके पत्ते कीड़ों ने न खाये हों-न कसरे हो. with leaves not bitten by
worms, insects etc. जं. प. मणीय. न० (अनीक ) साथी, घो। योरेनु
सैन्य-११४२. हाथी, घोसा वगैरह की सेना. An army consisting of elephants, horses etc. भग० १४, ; उत्त० १८, २; ओव० ३१; पण्ह० १, ३, कप्प.
२, १३; जं० प० ५, ११५; राय० % अणीयस. पुं० (अणीयस) महिलपुरना निवासी નાગનામે ગાથાપતિની ભાર્યા સુલતાથી થયેલ પુત્ર, કે જે તેમનાથ પ્રભુ પાસે દીક્ષા લઈ, ૧૪ પૂર્વને અભ્યાસ કરી, ૨૦ વર્ષની પ્રવજયા પાળી શત્રુંજ્ય પર સિદ્ધ થયા; છ ભાઈના નામથી પ્રસિદ્ધ થયેલ મુનિમાંના એક. भहिलपुर के निवासी नाग गाथापति ( अधिकारी) की भार्या सुलसा के गर्भ से उत्पन पुत्र, जो नेमिनाथ प्रभु से दीक्षा लेकर, १४ पूर्वो का अभ्यास कर और २० वर्षों तक प्रव्रज्या पालन करने के पश्चात् शत्रुजय पर्वत पर से मोक्ष गया; छः भाईयों के नाम से प्रसिद्ध मुनियों में से एक मुनि. A son born of Sulasā the wife of an officer named Nāga, a resident of Bhaddilapura, who took Diksã from Neminātha, studied fourteen Pūrvas, practised asceticism for twenty years and obtained salvation on Satruljaya. अंत० ३, १; ३, ४;
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