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अणुभाग ]
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[ अणुभाग
न्यूनाधिकरूप से परस्पर तुलना करना. weighing the comparative intensity of Karmic results. ठा० ४,२;-उदय. पुं० (-उदय) भने। अनुभाग-२सरूपेथत ६५.कर्म का अनुभागरसरूप से होता हुआ उदय. maturing of Karina in greater or lesser intensity. क० ५० ६, ५;-उदीरणा. श्री. (-उदीरणा)-मध्यमांसावर्भना રસની સાથે ઉદયમાં ન આવેલ રસને ! जयीन तेभा मेणवी मोग। त. उदय में पाये हुए कर्म के रस के साथ उदय में नहीं आये हुए रस को मिलाकर उसका फल भोगना blending the intensity of matured Karmas with that of unmatured ones and experiencing the results of this inodified intensity. ठा० ४, २; ----उदीरणोवक्कम. पुं० (-उदीरणोपक्रम)। ઉદયમાં આવેલા રસની સાથે સરનામાં રહેલા રસને ખેંચી દવાનો આરંભ કરે તે. उदय में आये हुए रस के साथ सता में रहे हुए रस को खींचकर उसके भोगने का प्रारंभ करना. beginning to experience the blended intensity of the matured and unmatured Karmas. ठा० ५, १;-कम्म. न० (-कर्मन् ) કમને રસ; તીવ્ર, તીવ્રતર, મંદ, મંદતર વગેરે
प्रतिमांनी शुभ, अशुभ २स. कर्म का रस, तीव्र, तीव्रतर, मंद, मंदतर आदि कर्मप्रकृति में का शुभ अशुभ रस. greater or lesser intensity of the results of Karmas according to their nature. भग० १, ४;-णामानहत्ताउय. न० (-नामनिधत्तायुष्-गत्यादीनां नाम | कर्मणामनुभागवन्धरूपो भेदोऽनुभागनाम, ।
तेन सह निधसमायुरनुभागनामनिधत्तायुरिति ) नामभनी गति आदि प्रतिना અનુભાગબંધની સાથે આયુષ્ય કર્મને નિવડ બંધ કરો તે; આઉખાના બંધન એક मेह. नामकर्म की गति आदि प्रकृति के अनुभागबंध के साथ आयुष्य कर्म का घनिष्ट सम्बन्ध करना; आयुष्य कर्म के बंध का एक भेद. blending together the intensity of Nāmakarma with that of Ayusyakarma; a variety of the bondage of Ayuşyakarma. भग० ६, ८; सम-वंध. पुं० (-बन्ध)
सं.२ तीन, तीतर आहि २सना पं. कर्म में तीत्र, तीव्रतर आदि रस का बंध. the intensity of the bondage of Karma according to the degree of pussion. ब. ४, २;-बंधहाण. न. (-बन्धस्थान ) अनुभागनां स्थान જે જે અધ્યવસાયે અનુભાગ-એક સમયના કાયસંબંધી અધ્યવસાયથી ગ્રહણ કરેલ કર્મપુળ નો રસસમુદાયનું પરિણામ થાય ते पायोइय२.५ मध्यवसायविशेष. अनुभाग बंध के स्थानक, जिन जिन अध्यवसायों से अनुभागबंध का एक समय के कषायसम्बन्धी अध्यवसाय से ग्रहण किये हुए कर्मपुद्गलों के रससमुदाय का परिणाम हो वह कषायोदयरूप अध्यवसायविशेष. thought-activity in the form of passion giving rise to greater or legser Karmic bondage. प्रव. १०६५;-संकम. पुं० (-सङ्क्रम) કર્મના રસમાં સંક્રમણ થવું તે; સંક્રમને मेड मेह. कर्म के रस में संक्रमण होना; संक्रम का एक भेद. transformation of Karmic results; a variety of Sankranma. क. ५० ५, ७१;
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