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लोमइत्ता ]
अणुलोमहत्ता. सं० कृ० अ० ( अनुलोम्य ) અનુકૂલ કરીને; પેાતાના પક્ષમાં લઈને. अनुकूल करके; अपने पक्ष में लेकर Having made agreeable; having taken on one's side. ठा० ६, १; अणुलोमविलोम पुं० (अनुलोमविलोम ) આવજાવ કરવી તે; જવું અને આવવું. आवागमन करना; जाना और आना. Going to and from. पंचा० १६, १८ अणुल्ल-य. पुं० (अनुलवक ) उन्ह विशेष. एक प्रकार का ज़मीकन्द A kind of bulbous root. उत्त० ३६, १२८ ( २ )
चंद्रिय वविशेष. दो इन्द्रियों वाला जीव विशेष. a variety of living being having two senses. उत्त ३६, १२८; अणुल्लग. त्रि० ( अनुवक ) भुखे । “अल्लम ” १६. देखो “ अगुल शब्द Vide
अब " उत्त० ३६, १२६; अलाव. पुं० ( अनुल्लाप ) भाडो उल्लाप | मुत्सित शतिथी वर्णन ते. कुत्सित रीति सेखराब रीति से वर्णन करना. Contemptu - ous mention. ठा० ७, १; अल्लोय. पुं० ( अनुवक ) मे द्रिय व विशेष दो इन्द्रियों वाला जीवावशेष. A kind of living being having two senses. उत्त० ३६, १३० ; ( २ ) अंधविशेष. कंदविशेष. a kind of bulbous root. उत्त० ३६, १३०; अणुवहट्ठ. त्रि० (अनुपदिष्ट ) मायार्य परंपरा
थी उपशेसुं नहि ते. जिसका आचार्य परंपरा से उपदेश न हुआ हो वह. Not taught traditionally by preceptors.
( २१३ )
क० प०५, २५; प्रव० १२२; अबुवडत. त्रि० (अनुपयुक्त ) उपयोग वगरनुं; उपयोय शून्य. उपयोग रहित. Careless; lacking in due attention. अजो०
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[ अणुवधाइय
१४, भग० ५, ४; विशे० ४२; ओघ ० नि०
१३;
श्रणुवएस. पुं० (अनुपदेश) उपदेशनो अलाव; स्वभाव; निसर्ग. उपदेश का अभाव; स्वभाव; निसर्ग. Absence of teaching; nature as opposed to art. "निसर्गः स्वभावोऽनुपदेश इत्यनर्थान्तरम् " अणुजो० १५१ ठा० २, १;
अणुवोग पुं० ( अनुपयोग ) उपयोगना
भाव; उपयोग शून्यता उपयोग का अभाव; उपयोग शून्यता. Want of proper care or attention. "अणुवओोगो दग्यं” अणुजो० १३; ७२; ( २ ) उपयोगनो व्यविपय; भावशून्य भावशून्य. that which is not a province of Upayoga. जो० ७२; ( 3 ) निष्प्रयोजन; निष्ठा२णु. बेमतलब; निष्प्रयोजन; निष्कारण. without any purpose. पंचा० ३,३७; अणुवभोगि त्रि० (अनुपयोगिन् ) उपयोग निष्प्रयोजन. निकम्मा. उपयोग शून्य Unnecessary; useless; purposeless. पंचा० ३, ३७; अणुवकय. त्रि० ( अनुपकृत- उपकृतमुपकारो, न विद्यते उपकृतं येषां ते) के उपकार नथी ये ते. जिसने उपकार नहीं किया वह. Devoid of benevolent deeds. नाया० ३; ( २ ) जीलना उपहार नीये मावेश नहि ते. दूसरे के द्वारा उपकृत न हुआ हो वह. not under anybody's
शून्य;
obligation. विशे० २१४३; नाया० ३; |श्रणुवक्यंत. त्रि० (अनुपक्रान्त) निरा २ उरेल
नहि जिसका निराकरण नहीं किया गया हो वह. Not repudiated. प्रोव० अणुवघा - य. त्रि ० ( श्रनुपघातिक ) यां સંયમ આદિની ધાત ન થાય તેવું સ્થળ. ऐसा स्थान जहां संयम आदि का घात न हो. (A
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