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अणुओइश्र]
(१८६)
[अबुभोग
'विसमं पवालियो परियमंति अनुउदे सुदेति
पुष्पं फलं च" ठा० ५, ३; अणुमोदन. त्रि. (अनुयोजित ) प्रपतविस;
३६. योजना किया हुआ; संगठित. Arranged; organised. बंदी. अणुप्रोग. यु. (अनुयोम-अणु सूत्रं महानर्थः, महतोऽर्थस्थाणुना सूत्रेण सह योगोऽशुयोगः अनुरूपोयोगो बानुयोगः सूत्रस्यार्थेन सहानुलासम्बन्धः ) सूत्रन अर्थनी साथे संबंध
જો તે; વ્યાખ્યા વિવરણ ટકા; સૂત્રને अर्थशवाते. सूत्र का अर्थ के साथ सम्बन्ध करनाः म्याख्या विवरण; टीका; अर्थ प्रकाशित करना. Exposition of an aphorism. अणुजो० २, नंदी० ५५; विशे०१; ८४१; १३५०; भग० २५, ३, ओघ० नि०१७(२) દ્રવ્યાનુયોગ, ગણિતાનુગ, ધર્મwાનુચ અને ચરણકરણાનુયોગ એ ચારમાંને ગમે તે એક. द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोग इन चारों में से कोई भी एक अनुयोग. Any one of the four Anuyogas viz Dravya,Ganita, Dhramakathā and Charanakarana. " से किं तं मणुनोगे ? अणुनोगे दुविहे पएणते, संजहा-मूलपढमाणुभोगे गरिमाणुभोगे य" ठा० १०; ( 3 ) ent अंगनी योयो विभाग. दृष्टिवाद अंग का चौथा विभाग. the fourth part of the Dristivada Anga. नंदी० ५६; सम० (४) ७५म, निक्षेप, अनुगम, नय ઇત્યાદિ અનુગદ્વારમાંના ગમે તે એક ६।२र्नु ज्ञान; श्रुतसानना मे १२. उपक्रम, निक्षेप, अनुगम, नय आदि अनुयोगद्वारों में से किसी भी एक का ज्ञान; श्रुतज्ञान का एक प्रकार. a. variety of knowledge called Śruta Jñāna; knowledge with regard to any one of the
ways of defining, namely Upakrama, Niksepa, Anugama, Naya etc.क. गं. १,४-प्रत्य. पुं. (-मर्थ)माभ्यान ५अर्थ. व्याख्यानरूप अर्थ. meaning as shown by explanation. आया. नि. टी. १, १, १,; -गम. पुं. (-गत) टिपा अंतर्गत એક અધિકાર અવયવમાં સમુદાયના ઉપ२२था टिपाद सूत्र, मारभु संगसूत्र. दृष्टि वाद के अंतर्गव एक अधिकार; अवयव में समुदाय के उमचार से दृष्टिवाद सूत्र, बारहवाँ अंगसूत्र. achapter in Dristivada Sūtra; the twelfth Angasūtra. ठा० १०-दायय-प्र. पुं० (-दायक) અનુયોગ-સૂત્રાર્થ આપનાર; સુધમાં સ્વામી वगैरे. अनुयोग-सूनार्थ प्रदान करने वाले सुधर्मास्वामी वगैरह. an expounder of a Sutra; e.g. Sudharma Svami etc. "वंदितु सव्वे सिदे, जिणे य अनुमोगदायए सब्वे" श्राया• नि० १, १, 1,1; -दार. पुं० (-बार) मनुयोग-व्याच्या કરવાના ઉપક્રમ, નિક્ષેપ,અનુગમ અને નય से यार ६।२; व्यायाननी शति. अनुयोगव्याख्या करने के उपक्रम, निक्षेप, अनुगम
और नय ये चार द्वार; व्याख्यान की रीति. the four points to be attended to in a commentary, viz Upakrama, Nikşepa, Anugama and Naya; a way of lecturing. अणुजो०५९ १४५ सम० प. १६८,भग०५,४; १७, १; नदी० ४३, ४५; विशे० ४४३;दारसमास. पुं० (-द्वारसमास ) मनुयोम દ્વારના સમુદાયનું જ્ઞાન, શ્રુતતાનને એક પ્રકાર. अनुयोगद्वारों के समुदाय का शान; श्रुतज्ञाम का एक प्रकार. knowledge of the four points requisite for a collective
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