________________
अणगार]
(१४६)
[ अणगार
प्रबल कारण नहीं. A cause or reason
पुं० (-वादिन् ) साधुना गुडित हावा which is not cogent or urgent.
છતાં પિતાને સાધુ તરીકે ઓળખાવનાર; વેષ गच्छा० ११६
भावना२ शयाहि. साधुत्व के गुणों से रहित श्रणगार. पुं० (अनगार-अनागार-न विद्यते साधु; केवल वेषमात्र रखने वाला साधु. a प्रागारादिकं द्रव्यजातं यस्यासौ) त्यागी; गृह
hypocritical saint; an ascetic in वरना-साधु-महात्मा. त्यागी, साधु. A
name and dress. "अणगारवाइणो पुडhouseless monk; an ascetic who
विहिंसगा निग्गुणा अगारिसमा" श्राया० नि० has abandoned all possessions. १, १, २, १००;-विणय. न० (-विनय)
ओव० १७; पन. १५; ३६; विवा० १; सगार-साधुना विनय-यारित्रधर्म. अनगारनिसी० २०, ११; उत्त० १, १८, २, १४;
साधु का विनय-चारित्रधर्म. right आया० १, १, २, १५; १, ६, २, १८३;
belief, right conduct etc. on the ठा० २, १; दस० ४, १८; सू० ५० १;
part of an ascetic. नाया० ५;जं० प० २, ३३, नंदी. १; पिं० नि.
सहस्स. न० (-सहस्र) २ अ ॥२२६३, भग० १, १; ६; २, ५, ७, १०;
साधुमा.हज़ार साधु.a thousand houseनाया० १; ५; १४, १६, १६;-धम्म. पुं.
less saints. कप्प० ७, २२७; सा(-धर्म ) मुनियम; साधुनो धर्म; सर्व विति
माइय. त्रि० (-सामायिक ) सर्व विति ચારિત્ર યતિધર્મ; ખંતિ, મુક્તિ આદિ
२५ सामायिः साधुनो धर्म-माया२. साधु६श २ने। यतिधर्म. मुनियों का धर्मः सर्व
ओं का एक प्रकार का प्राचार; सर्व विरतिरूप विराते चरित्ररूप यतिधर्म. duties of an
सामायिक. the conduct of an asceascetic, ten in number e. g.
tic e.g. self-contemplation. Khanti etc. “अणगारधम्मो ताव इह
ओव०-सीह. पुं० (-सिंह) मुनिमा सिंह खलु सम्वो सब्वयाए मुंडे भवित्ता " भग० समान. मुनियों में सिंह के समान. lit. a. lion १६, ६-मग्ग. पुं० (-मार्ग ) उत्तरा
of a Sādhu; the most advanced ધ્યયન સૂત્રના ૩૫ માં અધ્યયનનું નામ, જેમાં among the Sadhus. " एवं थुणिताઅણગાર-સાધુને માર્ગ દર્શાવવામાં આવ્યો ण स रायसीहो,प्रणगारसीहं परमाइ भत्तिए" छ ते; (उत्तराध्ययन) उप अध्ययन. उत्त०२०,५८,--सुय. न० (-श्रुत) सू413iउत्तराध्ययन सूत्र के ३५ वें अध्याय का नाम; गर्नु २४ मा२श्रुतनामर्नु अध्ययन. सूत्रजिसमें अनगार-साधु के मार्ग का निरूपण है. कृताङ्ग का २१ वाँ अध्ययन. name of name of the thirty-fifth chap- the 21st chapter of Sūtrater of Uttarādhyayana Sūtra, Kritanga. सम० २३, expounding the duties of a Sa- | अणगार. पुं० (अनाकार) अागार-शननेdhu. उत्त० ३५,२१;-महेसि.पुं० (-मह- ઉપયોગ; જેમાં આકાર સ્પષ્ટ પ્રતીત ન र्षि) साधुना गुणयुत महर्षि-मसभा. साधु- थाय ते लपयोग. दर्शन का उपयोग; जिसमें त्व के गुणों से युक्त महर्षि-महात्मा. a great आकार स्पष्ट न जान पड़े वह उपयोग. sage having the qualities of Vision without definite percepaSadhu or an ascetic. सम.--वाह. | tion or form. क. प. १, ६६;---
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org