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अच्छिज्ज ]
(१२)
[ अच्छिह
अच्छिज्ज. न० ( अच्छेन ) छेवाने मश:4; | से नय. परस्पर विक्तभ सूत्रों का विभाग छेही नशाय ते. छेदने के लिये अशक्य चाहने वाला नयविशेष; जैसे कि, 'धम्मो जो छेदा न जा सके वह. Incapable of | मंगल मुक्किट्ठ' यह गाथा अर्थ दृष्टि से दूसरी being cut or pierced. ठा० ३, २; गाथा के साथ संकलित होने पर भी पाठ की पिं. नि. ३६६;
दृष्टि से उसे पृथक् मानने वाला नय. the अच्छिज्ज. त्रि. (आच्छेद्य ) आदि पासे standpoint denying the interre
થી છીનવી લઈને આહારાદિ સાધુને આપવાથી ! lation of scriptural texts.सम० २२; सागत से होप; शमनना 18 घोषभाना अछित्ति.स्त्री० (अच्छित्ति) अव्यवछ। विछे१४ भाद्वीप.बच्चों से छीनकर साधु को आहार | नो मनाय. अव्यवच्छेद; विच्छेद का अभाव. श्रादि देने से लगने वाला एक दोष; उद्गमन के | | Absence of break; continuity. १६ दोषों में से १४ वाँदोष. A sin प्रव० ७८६; icurred by snatching food | अच्छित्तिकारि. त्रि.( अच्छित्तिकारिन् ) नाश from others and giving it to न ४२ना२; छ । ४२ना२. नाश न करने the Sadhus; fourteenth of the वाला; छेद न करने वाला. One who sixteen faults of Udgamana. does not cut; one who does not
आया० १, ८, २,२०२; ठा० ६, १; पन्न० २; _destroy. विशे० १४५८; निसी० १४, ४, १६, ४; पिं० नि० ६३ । अच्छिह. त्रि. (अच्छिद्र) छिद्र वारजें; थच्छिण्ण. त्रि.(अच्छिन्न) छेनु-अपेतुं नहि निश्२ि७६; घाई-छि विनानुं. छिद्र रहित.
ते; गुटुं पाउडुं नाहते. छेदा हुआ न हो वह. Without lholes. भग० १५, १; जीवा०
Uncut; unseparated ठा० १०; ३,३; ओव०१०; (२) गोशासाना हिशायर अच्छिएण. त्रि. (प्राच्छिम) अविछिन्न; निरं. साधुमांना योथा हिशायर साधु. गोशाला के छ:
त२.अविच्छिन्न; निरंतर. Ceaseless;con- दिशाचर साधुओं में से चोथा दिशाचर साधु. stant. पिं० नि० २३२;-च्छेदणइय. the fourth of the six Diśāchara न० (-च्छेदनयिक) अछिन्नम्छे नयनी - Sadhus of Gosala. भग० १५, १;ક્ષાએ રચેલા સૂત્ર; ગોશાલાના મતના સૂત્રની कुच्छि. पुं० (-कुत्ति ) गिरनी मांसथा परिपाटी. अच्छिन्नच्छेद नय की अपेक्षा से मरेसी पुष्ट सेवी म. छिद्ररहित मांस से रचित सूत्र; गोशाला के मत की परिपाटी. भरी हुई कुक्षि. an arm-pit without Sūtras composed from the stand a hollow i. e. full of flesh. point of Achchhinna-chchheda;a "अतियाकुच्छी अछिद्दकुच्छी अलंबकुच्छी" method of the Sutras of Gośālā's नाया० १;-पत्त. त्रि० (-पत्र-अच्छिद्राणि tenets. सम० २२;-च्छेदणय. पुं. पत्राणि यस्य सः)ोना ५isi शाहिया (-च्छेदनय) ५२२५२ अविलसूत्रोनाछे- थत विन डाय ते. जिसके पत्ते किसी विला छिनार नयविशेष; म “ धम्मो- रोगादि के कारण छिद्र वाले न हों वह. with मंगलमुक्टिं" से गाथा महष्टिये leaves without holes caused by બીજી ગાથા સાથે સંકલિત છતાં પાઠની some disease etc. " अच्छिहपत्ता દષ્ટિએજ તેને અલગ અલગ માનનાર | अविरलपत्ता अवाईणपत्ता " नाया० १;
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