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अजिदिश्रय ]
Name of the tutelary goddess of Ajitanātha, the 2nd Tirthankara प्रव० ३७७; अजिइंदिश्र - य. त्रि० ( श्रजितेन्द्रिय-न जितानि श्रोत्रादीनीन्द्रियाणि येन स तथा ) छद्रियो જેને વશ નથી તે; ઈંદ્રિયાને ન જીતનાર. इन्द्रियों को न जीतने वाला; जिसके वश इन्द्रियाँ नहीं हैं वह . One who has not subdued his senses. उत्त० ३४, २२; अजिए. न ० ( श्रजिन ) भृग-हरण खाहिनुं याभ. हिरण आदि का चमड़ा. Skin of a deer etc. आया० १, १, ६, ५३; उस०६, २१; सूय० २, २, ६, ( २ ) यर्भयाभ धारण वु ते. चर्म धारण करना the act of putting on a skin. “चिराजिणं नगिणिणं जडी संघाडिमुंडिगं ” उत्त० 4,29; (3) go ford-dlåse als à; Naराग नहि ते. जो जिन तीर्थंकर न हो वह; जो वीतराग न हो वह. one who is not & Tirthankara i. e. one who has not conquered passions. ओ०१६; भग० १५, १; - आहार. त्रि० (-श्राहारक ) निनाम सने आहारशरी२ मे मे अति शिवाय जिननामकर्म और श्राहारकशरीर इन दो प्रकृतियों के सिवाय का. with the exception of the two Karma Prakritis viz Jinanāma Karma and Ahārakaśarīra. क० गं० ३, २३; - मणुश्राउ. त्रि ( -मनुजायुष्) निनाम तथा मनुष्यनुं आयुष्य से
प्रकृति शिवायनुं. जिननाम और मनुष्य इन दो प्रकृतियों के सिवाय का. with the exception of the two Karma Prakritis viz Jinanama and Manusyāyusya. क० गं० ३, ७, अजिरण न० ( अजीर्ण ) अपयो; मोरा
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पायनन थाय ते. भोजन का न पचना; श्रजीर्ण. Indigestion. पिं० नि० ८8; अजित. पुं० (अजित) सन्ति नामे मीन तीर्थ३२. अजित नाम के दूसरे तीर्थंकर Name of the 2nd Tirthankara सम० २३;२४; अजिय- त्रि० ( श्रजित ) अर्धथी निताय નહિ તેવે; કાઈથી પરાજ્ય પામે નહિ તેવા. जो किसीसे पराजित न हो सके वह. Invincible. भग० ६, ३३; नाया ० १; ( ૨ ) ભરતક્ષેત્રની ચાલુ ચાવીસીના બીજા तीर्थं २नुं नाभ. भरतक्षेत्र की वर्तमान चौवीसी के दूसरे तीर्थंकर का नाम name of the second Tirthankara, of the present cycle of twentyfour of Bharata Ksetra. भग० २०, ८; अणुजो ० ११६; ( 3 ) नवभा सुविधिनाथ तीर्थरना यक्षनुं नाभ नवें सुविधिनाथ तीर्थंकर के यक्ष का नाम name of the Yaksa, of the ninth Tirthankara, Suvidhinātha. प्रव० ३७५; -- जिदि. पुं० (- जिनेन्द्र ) भालु पवसर्पिणीना भरतक्षेत्रना भील तीर्थ३२. वर्तमान अवसर्पिणी के भरतक्षेत्र के दूसरे तीर्थकर का नाम . second Tirthankara of Bharat Kṣetra in the present Avasarpini विशे० ५६६; अजियसेण, पुं० ( श्रजितसेन ) मंजूदीपना
ઇરવતક્ષેત્રમાં ચાલુ અવર્પણીમાં થયેલ નવમા તીર્થંકરનું નામ. जंबूद्वीप के इरवतक्षेत्र के वर्तमान अवसर्पिणी के नवें तीर्थकर का नाम. Name of the ninth Tirthankara, of the present Avasarpini in the Iravata Kşetra of Jambudvipa. सम० प० २४० ; ( २ ) अंतगड सूत्रना त्रील वर्गना त्री मध्ययननुं नाम अंतगढ़
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[ श्रजियसेल
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