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अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 चक्रवर्ती + 9 नारायण + 9 प्रतिनारायण + 9 बलभद्र) का वर्णन है। यह ग्रंथ जातक शैली में तैयार किया गया है, जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। ये प्रथम कवि थे, जिन्होंने महापुराण, जो मूलतः संस्कृत में है, की कन्नड़ में रचना की है। जो ‘वढ्ढाराधना के पश्चात् पद्यात्मक शैली का प्रथम ग्रंथ है।' ३. वीर मार्तण्डी टीका:- चामुण्डराय ने आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती के गोम्मटसार पर वीरमार्तण्ड नामक कन्नड टीका रची है। इस रचना के पीछे दो मुख्य हेतु प्रतीत होते हैं, प्रथम यह कि उन्होंने स्वनिमित्त रची गई कृति गोम्मटसार से उऋण होने हेतु इसे रचा है तथा द्वितीय यह कि गोम्मटसार की भाषागत सौष्ठवता साधारण जनों के लिए अगम्य होने से कन्नड़-भाषियों के प्रति विशिष्ट राग एवं उपकार की दृष्टि से इसे रचा होगा।
४. तत्त्वार्थ वार्तिक संग्रह :- इस रचना के विषय में जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश के निर्माता जिनेन्द्र वर्णी ने मात्र उल्लेख किया है।
'तीर्थकर महावीर एवं उनकी आचार्य परम्परा' में डॉ. नेमिचन्द्र 'ज्योतिषाचार्य' ने तथा 'अर्हत्वचन' के बाहुबली विशेषांक में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं मिलता है।30
संदर्भः
1. 'जगत्पवित्रब्रह्मक्षत्रियवंश भागे', चामुण्डरायपुराण, पृ. 5 2. तलकारडु निवासी 3. 'सो अजियसेणणाहो जस्स गुरु', गोम्मटसार कर्मकाण्ड, गा. 9664. "It is believed
that Puiyappai who did in Vijayamangala was the sister of Camundaraya". Camundaraya and Sravan Aelagola. Padmavathamma.
5-"Ajita Devi, one of the vives of Camundaraya had given birth to a sonJinadevanna." Camundaraya and Sravan Aelagola. - Padmavathamma. Vol.18, No.1, Jan-March&2006, 69-74. 6- तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा- नेमिचन्द ज्योतिषाचार्य। 7. गोम्मटेश्वर बाहुबली और गोमटेस थुदि : एक अनुशीलन, भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु',
अर्हत् वचन, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर, वर्ष 18, अंक-1, जनवरी-मार्च 2006, पृ. 27-33
8. (E.C.II) नं. 238, पंक्ति 16, अंग्रेजी संक्षेप का पृ. 98, उद्धृत जीवकाण्ड की