________________
60
अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 5. सदस्य देश ने किसी बड़ी ताकत को अपने क्षेत्र में सैनिक अड्डा बनाने की स्वीकृति न दी हो। __गुट निरपेक्षता की जो बुनियाद भारत ने 1946-47 में रखी थी वह समय के साथ अधिक मजबूत हुई है। पं. नेहरू के शब्द उल्लेखनीय है कि जहाँ स्वतंत्रता के लिए खतरा उपस्थित हो, न्याय को धमकी दी जाती हो अथवा जहाँ आक्रमण होता हो वहां न तो हम तटस्थ रह सकते हैं और न ही तटस्थ रहेंगे।
गुटनिरपेक्षता से अभिप्राय शक्तिमूलक राजनीति से पृथक रहना तथा सभी राज्यों के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सक्रिय अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग
अनेकान्तवाद भी एक दार्शनिक सिद्धान्त होने की अपेक्षा दार्शनिक मन्तव्यों, मान्यताओं और स्थापनाओं को उनके सम्यक् परिप्रेक्ष्य में व्याख्यापित करने की पद्धति विशेष है। अनेकान्तवाद का मूल प्रयोजन सत्य को उसके विभिन्न आयामों में देखने, समझने और समझाने का प्रयास करना है। अतः वह सत्य की खोज की एक व्यावहारिक पद्धति है जो सत्ता को उसके विविध आयामों में देखने का प्रयत्न करती है। अनेकान्त का कार्य उन सभी दर्शनों की सापेक्षिक सत्यता को उजागर करके उनमें रहे हुए विरोधों को समाप्त करना है। इस प्रकार अनेकान्त एक सिद्धान्त होने की अपेक्षा एक व्यावहारिक पद्धति ही अधिक है। यही कारण है कि अनेकान्तवाद की एक दर्शनिक सिद्धान्त के रूप में स्थापना करने वाले आचार्य सिद्धसेन दिवाकर (ई. चतुर्थशती) को भी अनेकान्तवाद की इस व्यावहारिक महत्ता के आगे नतमस्तक होकर कहना पड़ा
जेण विणा लोगस्स विवहारो सत्वहाण णि व्वडई।
तस्स भुवणेक्क गुरूणो णमों अणेगंत वायस्स॥ अर्थात् जिसके बिना लोक व्यवहार का निर्वहन भी सर्वथा सम्भव नहीं है, उस संसार के एक मात्र गुरु अनेकान्तवाद को नमस्कार है।
इस प्रकार अनेकान्तवाद विरोधों के शमन का एक व्यावहारिक दर्शन है। वह उन्हें समन्वय के सूत्र में पिरोने का सफल प्रयास करता है। क्योंकि अनेकान्तवाद का मूल प्रयोजन सत्य को उसके विभिन्न आयामों में देखने,