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अनेकान्त 68/4, अक्टू-दिसम्बर, 2015
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आवश्यक सूचना
'अनेकान्त' के लिए, शोधालेख भेजते समय विद्वान-लेखक निम्नांकित बातों पर ध्यान देंगे :(१) शोधालेख जैनधर्म/दर्शन से सम्बन्धित हो, परन्तु विवादस्पद न हो। उसकी मौलिकता का एवं अन्यत्र कहीं प्रकाशित न होने का प्रमाणपत्र स्व-हस्ताक्षर सहित संलग्न करें। (२) 'अनेकान्त' शोध-त्रैमासिकी का उद्देश्य- जैन विद्या के विभिन्न विषयों में शोध-प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना तथा जैनधर्मानुरागी आवाल-बृद्ध पाठकों के लिए सरल एवं बोधगम्य शैली में ऐसे लेखों का प्रकाशन करना है जो जनमानस में आचार-विचार को ऊँचा उठाने में सहायक बनें। (३) वीर सेवा मंदिर 'अनेकान्त' का प्रकाशन विगत 68 वर्षों से हो रहा है। इसके वर्तमान स्वरूप में और क्या परिवर्तन लाया जा सकता है, इस सम्बन्ध में प्रबुद्ध पाठक एवं विद्वानों के सुझाव सादर आमंत्रित किये जाते हैं, ताकि इसे और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सके। (४) विद्वानों द्वारा भेजे गये शोध-आलेख स्वीकृत होने के पश्चात् प्रकाशित होने में 6 माह से 1 वर्ष तक का समय लग सकता है। अस्वीकृत लेखों की सूचना इस कार्यालय से आपको यथासमय भेज दी जाती है। (५) 'युगवीर गुणाख्यान' स्तम्भ के लिए विद्वान लेखकों से अनुरोध है कि वे पं. जुगलकिशोर 'मुख्तार जी के संबन्ध में संस्मरण उनके ग्रंथों की समीक्षा आदि सारगर्भित विचार लिखकर भेज सकते हैं।
- सम्पादक एवं सम्पादक मण्डल
के आदेशानुसार