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अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 का चरम उत्कर्ष है और सारा संसार इसे जितना शीघ्र अपनायेगा विश्वशांति उतनी ही शीघ्र स्थापित होगी। __इस प्रकार गुट निरपेक्षता के मूल में अनेकान्त के बीज ही परिलक्षित होते हैं। महात्मा गांधी पर जैन धर्म एवं दर्शन का प्रभाव तो सर्वविदित ही है, पं. नेहरू की भी यदि गुटनिरपेक्षता की घोषणा में इन्हीं सिद्धान्तों पर दृष्टि रही हो तो यह अतिश्योक्ति नहीं है। गुटनिरपेक्षता के आधार सूत्र अनेकान्त पर ही आधारित है। अभी तक गुटनिरपेक्ष सम्मेलन एवं उनमें प्रस्तावित प्रस्ताव तथा उपलब्धियों से भी यही प्रतीत होता है कि अनेकान्त एवं गुटनिरपेक्षता की उपलब्धियाँ भी समान ही हैं आगे भी इन्हीं सिद्धान्तों पर चलकर विश्वशांति की दिशा में सार्थक प्रयास हो सकता है जिससे विश्वशांति की प्राप्ति संभव हो सकेगी। संदर्भ : 1. सन्मति तर्क प्रकरण 3/7 2. अष्टशती पृ. 286 3. तत्वार्थसूत्र, 5/31 4. अनेकान्तवाद और उसकी उपयोगिता, डॉ. सुदर्शन मिश्र, पृ. 178 5. अनेकान्तवाद सिद्धान्त और व्यवहार, डॉ. सागरमल जैन, पृ. 42 6. संस्कृति के चार अध्याय, पृ. 135
- प्राध्यापक संस्कृत शासकीय कमलाराजा कन्या स्वशासी महाविद्यालय,
ग्वालियर (म0प्र0)