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अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015
रु. 5,00,001.00 से 10,00,000.00 तक - 20 प्रतिशत रु. 10,00,001.00 से लेकर आगे - 30 प्रतिशत इसके अतिरिक्त एक करोड़ से अधिक की आय पर 5 प्रतिशत अधिभार (सरचार्ज) भी लगेगा।
उक्त विवरणानुसार आयकर एवं अधिभार की कुल राशि पर उपकर का विधान भी पूर्ववत् ही रखा गया है, जो 2 प्रतिशत शिक्षा उपकर+1 प्रतिशत माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा शुल्क भी है।
धारा 88 के अन्तर्गत रु. 1,50,000.00 तक की राशि की बचत करमुक्त है, पी.पी.एफ. से अर्जित करमुक्त ब्याज इसी में सम्मिलित है। बचत खाते से प्राप्त बैंक ब्याज के रु. 10,000.00 करमुक्त है। शेष सभी प्रकार के ब्याज आय में जोड़े जायेंगे।
यह पूर्णतया सत्य है कि प्रत्येक देशभक्त व्यक्ति प्रजा के कल्याण कार्यों के लिए आयकर देना चाहता है, किन्तु आयकर की प्रक्रिया इतनी जटिल धारा, उपधारा, नियम, उपनियम एवं अधिनियमों के आधीन है तथा कानूनी दाव-पेचों पर निर्भर है अतः लोग आयकर विवरणी करने से बचना चाहते हैं तथा वे न चाहते हुए भी आयकर कर चोरी में प्रवृत्ति करने लगते हैं। वास्तव में कर की बड़ी मार एवं जटिलता ने व्यक्ति को चोरी के लिए विवश किया है, वह उसकी निसर्गज प्रवृत्ति नहीं है। व्यापार कर राज्यों का विषय होने से पृथक्-पृथक् राज्य के पृथक्-पृथक् व्यापारकर लिया जाता है। इस कारण सीमावर्ती लोग अन्य राज्य से वस्तुएँ लाकर बेचते हैं तथा कर चोरी में बरबस प्रवृत्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में कर चोरी रोकने के लिए मंहगाई, आम आदमी की जरूरतों तथा आमदनी को विचारकर करनिर्धारण
की आवश्यकता है। __जैन परम्परा में श्रावक के पांच अणुव्रतों में अचौर्य नामक अणुव्रत सदाचारजन्य एक ऐसा साधन है तो सभी प्रकार के चौर्यकृत्य को रोकने में समर्थ है। कर चोरी की जो विविध धारा-उपधारायें दण्ड का विधान करती हैं, वे अचौर्याणुव्रत से आसानी से समाहित देखी जा सकती है। अतः अचौर्याणुव्रत के स्वरूप के साथ-साथ उसके अतिचारों (दोषों) की विवेचनाओं