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अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015
अपभ्रंश साहित्य में पर्यावरण-संरक्षण
- कर्मयोगी डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन
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'पर्यावरण' शब्द परि+आवरण, इन दो शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है- चारों ओर का घेरा। मनुष्य को यदि केन्द्र मान लें तो उसके चारों ओर जितना भी दृश्यमान जगत् है वह सब पर्यावरण है जिसका परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से हम उपभोग करते हैं। अध्यात्म ग्रन्थों में पर्यावरण को लोक के रूप में भी अभिव्यक्त किया गया है। महर्षि वेद व्यास ने लोक को प्रत्यक्ष रूप में देखने वाले को सर्वदर्शी माना"प्रत्यक्षदर्शी लोकानां सर्वदर्शी भवेन्नरः।" इस लोक में सम्पूर्ण दृश्यमान जगत्, मनुष्य, पशु-पक्षी एवं अन्यान्य जड़-चेतन रूप सभी पदार्थ आ जाते हैं।
पर्यावरण के लिए आंग्ल भाषा में "ENVIRONMENT" शब्द प्रयोग होता है जो फ्रेंच शब्द "ENVIRON" से बना है जिसका अर्थ है आसपास का वातावरण। ऑक्सफोर्ड स्टेन्डर्ड डिक्शनरी के अनुसार-"पर्यावरण ("ENVIRONMENT) का अर्थ आसपास की वस्तुस्थिति, परिस्थितियाँ या प्रभाव है।' चेम्बर ट्वेन्थ सेन्चुरी डिक्शनरी के अनुसार- "पर्यावरण से तात्पर्य विकास या वृद्धि को प्रभावित करने वाली परिस्थितियाँ हैं।” अर्थात् आसपास की यथास्थिति ही पर्यावरण नहीं है, अपितु परिस्थितिजन्य कारक भी पर्यावरण है जो विकास को प्रभावित करते हैं।
हमारा पर्यावरण जगत प्रचर प्राकतिक संसाधनों से सम्पन्न है जिन्हें हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं -
(१) अव्ययी प्राकृतिक संसाधन- वायुमण्डल, जल, चट्टानों, सौर ऊर्जा का सकल परिमाण जो सृष्टि में विद्यमान है; ये अव्ययी प्राकृतिक संसाधन हैं।