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आनन्दघन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
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इस आधार पर श्री क्षितिमोहन सेन आनन्दघन का जन्म राजस्थान में मानते हैं।'
'श्रीसमेतशिखर तीर्थनां ढालियां' में वर्णित तथ्यों के आधार पर विचार करें तो बड़े भाई पंन्यास सत्यविजयजी का जन्म लाडलु गांव में हुआ था । यह लाडलुगांव मालवदेश के रूप में परिचित नपादलक्षरे देश में है। इसमें ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि आनन्दघन का जन्म भी इसी स्थल पर (लाडलु गांव में) हुआ हो और बाद में इन्होंने भी पंन्यास सत्यविजय जी की भांति राजस्थान में लम्बे समय तक विचरण किया हो।
जन्म-तिथि ____ अपने जन्म-स्थान की भांति अपने जन्म-समय का भी आनन्दघन ने कहीं नामोल्लेख नहीं किया है। इनके जन्म-सम्वत् के विषय में भी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। उपाध्याय यशोविजय द्वारा रचित अष्टपदी के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार का उल्लेख नहीं मिलता। अतः इनके जन्म-समय के निर्धारण के लिए भी अनुमानों पर निर्भर रहना पड़ता है। उपाध्याय यशोविजय द्वारा रचित अष्टपदी को आधार मानकर कतिपय विद्वानों द्वारा आनन्दघन का जन्म सम्वत् निर्धारित करने का प्रयास किया गया है।
अष्टपदी में, उपाध्याय यशोविजय ने आनन्दधन के प्रति अत्यधिक आदर प्रकट किया है। इससे आनन्दघन यशोविजय से आयु में बड़े होंगे ऐसा मान कर आचार्य मिनिमोहन सेन ने आनन्दघन का जन्म वि० सं० १६१५ और स्वर्गवास वि० सं० १७३२ में माना है। किन्तु यह अनुमान दूराकृष्ट लगता है। १. 'जैन मरमी आनन्दघन का काव्य' - आचार्य क्षितिमोहन सेन, 'वीणा'
पत्रिका, वर्ष १२, अंक १, नवम्बर, सन् १९३८, पृ० ७-८ । २. 'जैन ऐतिहासिक रासमाला', भाग-१, संशो० मोहनलाल
देसाई, पृ० ३७ । ३. जैन मरमी आनन्दघन का काव्य, 'वीणा' पत्रिका, १९३८
पृ० ८।