Book Title: Anandghan ka Rahasyavaad
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 345
________________ ३४० आनन्दघन का रहस्यवाद प्रोपनियुक्ति-आचार्य भद्रबाहु स्वामी (द्रोणाचार्य वृत्ति), आ० विजय दान सूरि जैन ग्रन्थमाला । औववाइय सूत्र-(औपपातिक सूत्र) - अनुवादक-मुनि उमेशचन्द्र जी 'अणु', श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना (म० प्र०) प्रथम आवृत्ति, सन् १९६३ । कबीर का रहस्यवाद-डा० रामकुमार वर्मा, प्रका०-साहित्य भवन (प्रा.) लिमिटेड, इलाहाबाद-३, ११वां संस्करण, १९७२ । कबीर और जायसी का रहस्यवाद और तुलनात्मक अध्ययन-ले० ___ डा. गोविन्द त्रिगुणायत, साहित्य सदन, देहरादून-१, तृतीय संस्करण, १९७१ । कबीर ग्रन्थावली-सम्पा०- डा० भगवत्स्वरूप मिश्र, विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा-३, प्रथम संस्करण, १९६९ । कबीर ग्रन्थावली-सम्पा०- श्यामसुन्दर दास, काशी नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, १९२८ । कठोपनिषद्-गीता प्रेस, गोरखपुर । कबीर साहित्य को परख-आचार्य परशुराम चतुर्वेदी, भारती भण्डार, इलाहाबाद, सम्वत् २०२१ ।। कबीर साहब-सम्पा०- विवेकदास, कबीर वाणी-प्रकाशन केन्द्र, वाराणसी, प्रथम संस्करण, १९७८ । कर्मग्रन्थ (प्रथम भाग)-श्रीमद् देवेन्द्रसूरि, अनुवादक-पं० सुखलाल जी संघवी, जवाहरलाल नाहटा, श्री आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रचारक-मण्डल, आगरा, द्वितीय आवृत्ति, सन् १९३९ । कार्तिकेयानुप्रेक्षा-स्वामिकार्तिकेय- (स्वामि-कुमार) - सम्पा०-५० कैलाश चन्द्र शास्त्री, श्री परमश्रुत प्रभावक-मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, अगास, प्रथम आवृत्ति, ई० स० १९६० । काव्यालंकार-आचार्य भागह-भावकार-देवेन्द्रनाथ शर्मा, बिहार . .., पटना, वि० सं० २०१९ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359