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आनन्दघन का रहस्यवाद
प्रोपनियुक्ति-आचार्य भद्रबाहु स्वामी (द्रोणाचार्य वृत्ति), आ० विजय
दान सूरि जैन ग्रन्थमाला । औववाइय सूत्र-(औपपातिक सूत्र) - अनुवादक-मुनि उमेशचन्द्र जी
'अणु', श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक
संघ, सैलाना (म० प्र०) प्रथम आवृत्ति, सन् १९६३ । कबीर का रहस्यवाद-डा० रामकुमार वर्मा, प्रका०-साहित्य भवन (प्रा.)
लिमिटेड, इलाहाबाद-३, ११वां संस्करण, १९७२ । कबीर और जायसी का रहस्यवाद और तुलनात्मक अध्ययन-ले०
___ डा. गोविन्द त्रिगुणायत, साहित्य सदन, देहरादून-१, तृतीय
संस्करण, १९७१ । कबीर ग्रन्थावली-सम्पा०- डा० भगवत्स्वरूप मिश्र, विनोद पुस्तक
मन्दिर, आगरा-३, प्रथम संस्करण, १९६९ । कबीर ग्रन्थावली-सम्पा०- श्यामसुन्दर दास, काशी नागरी प्रचारिणी
सभा, काशी, १९२८ । कठोपनिषद्-गीता प्रेस, गोरखपुर । कबीर साहित्य को परख-आचार्य परशुराम चतुर्वेदी, भारती भण्डार,
इलाहाबाद, सम्वत् २०२१ ।। कबीर साहब-सम्पा०- विवेकदास, कबीर वाणी-प्रकाशन केन्द्र,
वाराणसी, प्रथम संस्करण, १९७८ । कर्मग्रन्थ (प्रथम भाग)-श्रीमद् देवेन्द्रसूरि, अनुवादक-पं० सुखलाल जी
संघवी, जवाहरलाल नाहटा, श्री आत्मानन्द जैन पुस्तक
प्रचारक-मण्डल, आगरा, द्वितीय आवृत्ति, सन् १९३९ । कार्तिकेयानुप्रेक्षा-स्वामिकार्तिकेय- (स्वामि-कुमार) - सम्पा०-५० कैलाश
चन्द्र शास्त्री, श्री परमश्रुत प्रभावक-मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, अगास, प्रथम आवृत्ति, ई० स०
१९६० । काव्यालंकार-आचार्य भागह-भावकार-देवेन्द्रनाथ शर्मा, बिहार
. .., पटना, वि० सं० २०१९ ।