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आनन्दघन का रहस्यवद
उनका जन्म गुजरात और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र में हुआ होगा अथवा वे उस प्रदेश में सबसे अधिक रहे होंगे ।
आचार्य बुद्धिसागर सूरि की तरह श्रीनटवरलाल व्यास भी 'आनन्दधन चौबीसी' को प्रथम ग्रन्थ मानकर यह अनुमान लगाते हैं कि आनन्दघन का जन्म गुजरात में हुआ होगा अथवा वे गुजरात में पर्याप्त समय तक रहे होंगे।' इस सम्बन्ध में श्रीमनसुखलाल रवजी भाई मेहता का कथन है कि उनकी कृतियों में हिन्दी-राजस्थानी एवं गुजराती का मिश्रण है । अतः जन्म उत्तरी भारत के किसी भाग में हुआ होगा । अल्पवय में ही उत्तर भारत को छोड़कर गुजरात के किसी प्रदेश में आ गये हों । २
श्रीमोतीचन्द कापड़िया का स्पष्ट अभिमत है कि आनन्दघन का सौराष्ट्र अथवा गुजरात में जन्म हुआ हो ऐसा एक भी विनी वाक्य अथवा आन्तरिक आधार नहीं मिलता। मोतीचन्द कापड़िया ने बुन्देलखण्ड में जन्मे श्री गम्भीर विजयजी से आनन्दघन के पदों और स्तवनों के भावार्थ को समझा था । श्री गंभीर विजयजा आनन्दघन की भाषा को अच्छी तरह समझते थे । इस आधार पर वे यह मानने को प्रेरित हुए कि आनन्दघन का जन्म बुन्देलखण्ड में हुआ होगा ।
श्री मोतीचन्द कापड़िया ने उपर्युक्त आधार पर जो निष्कर्ष निकाला है, वह कुछ असंगत-सा लगता है । इनके इस अनुमान का खण्डन करते हुए आचार्य क्षितिमोहन सेन लिखते हैं कि आनन्दघन की कृतियों में गुजराती और राजस्थानी भाषा का प्रभाव परिलक्षित होता है । तो फिर, यह कैसे माना जा सकता है कि वे बुन्देलखण्ड में पैदा हुए ? आचार्य क्षितिमोहन सेन के अनुसार आनन्दघन की भाषा पूर्वी राजस्थान के अनेक भक्त कवियों की भाषा के समान है । इस प्रदेश में आनन्दघन के पूर्व और बाद में कई भक्त-कवियों का जन्म हुआ है | आनन्दघन का अन्तिम जीवन पश्चिमी राजस्थान के मेड़ता नगर में व्यतीत हुआ । मात्र इतना ही नहीं अपितु उनकी रचनाओं में राजस्थानी विशेषताएं भी परिलक्षित होती हैं ।
१. जैन काव्य दोहन, भाग १, पृ० १५ ।
गुजरात के कवियों की हिन्दी काव्य साहित्य को देन, पृ० ३८ । श्रीआनन्दघन नां पदो, भाग १, पृ० ५६ ।
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