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विवेक-दृष्टि
मोक्ष क्या है ? और उसका साधन क्या है ? यही विचारणा आपके समक्ष चल रही है। विषय अत्यन्त गम्भीर है, परन्तु इस गम्भीर विषय को समझे बिना मानव अपने जीवन के ध्येय को प्राप्त नहीं कर सकता, मानव अपने लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर सकता। मनुष्य को विवेक-बुद्धि मिली है। विवेक-बुद्धि के बल से वह कठिन को भी सरल बना सकता है।
मोक्ष और उसके स्वरूप की चर्चा कठिन क्यों लगती है ? क्या वह वस्तुतः ही कठिन है ? समझने जैसा नहीं है ? जो अपना स्वरूप है वह समझ में न आए, यह कैसे हो सकता है ? बात केवल इतनी ही है, कि उसे समझने का सच्चे हृदय से कभी प्रयत्न नहीं किया गया । ऐसा कौन सा विषय है, जो प्रयत्न करने पर भी समझ में न आए । इस मोह-मुग्ध संसारी आत्मा ने अनन्त-अनन्त काल से पुद्गल से प्रीति की है, पुद्गल से ममता-भाव किया है, अतः पुद्गल की बात जल्दी समझ में आती है। मोक्ष और आत्मा की बात अपनी निज की होते हुए भी इसलिए समझ में नहीं आती कि उसमें हमारी प्रीति
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