Book Title: Adhyatma Pravachana Part 1
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 350
________________ २१ - तीन प्रकार की चेतना भारतीय दर्शन में आत्मा के स्वरूप का वर्णन एवं प्रतिपादन बहुत ही विस्तार के साथ किया गया है। एक चार्वाक दर्शन को छोड़ कर भारत के शेष समस्त दर्शन आत्मा की सत्ता में विश्वास रखते हैं और अपने-अपने विश्वास के अनुसार उसके स्वरूप के प्रतिपादन का प्रयत्न भी करते हैं। ___ आत्मा, चेतन और जीव-ये तीनों पर्यायवाची शब्द हैं। अध्यात्मशास्त्र में आत्मा के सम्बन्ध में कहा गया है, कि वह ज्ञाता और द्रष्टा है। ज्ञाता का अर्थ है-जानने वाला, और द्रष्टा का अर्थ है-देखने वाला । प्रमाण-शास्त्र में आत्मा को प्रमाता कहा गया है। इस प्रकार आत्मा के जितने भी नाम हैं, उन सबमें चेतना प्रतिभासित होती है । अतः चेतना ही आत्मा का मुख्य लक्षण है। चेतना को ही उपयोग भी कहते हैं । आत्मा चेतन है, इसका अर्थ है कि वह ज्ञानस्वरूप है । आत्मा के जितने भी नाम हैं, उन सबमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण दो नाम हैं-ज्ञाता और द्रष्टा । ज्ञाता और द्रष्टा कहने से आत्मा का परिपूर्ण बोध हो जाता है। जब हम यह कहते हैं, कि आत्मा प्रमाता है, तब इसका अर्थ यह होता है कि वह विश्व के सभी पदार्थों की प्रामाणिकता का बोध करने वाला है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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