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१७० ! अध्यात्म प्रवचन
मार्ग पर से किसी लड़की के रोने की आवाज सुनाई दी। रोने की आवाज सुनकर बादशाह विचार करता है, कि यह लड़की कौन है, और भला स्वर्णिम प्रभात के आगमन के समय पर क्यों रो रही है ? पूछताछ करने पर बादशाह को मालूम हुआ, कि लड़की के रोने का यह कारण है कि उसका पति उसे विदा कर अपने साथ ले जा रहा है।
संसार को प्रत्येक घटना कुछ न कुछ विचार अवश्य देती है। बादशाह इसी विषय पर विचार करने लगा और सोचने लगा कि किसी भी व्यक्ति के घर पर दामाद का आना अच्छा नहीं है। यह दामाद बड़े खराब हैं, जो गरीब लड़की को इस प्रकार रुलाते हैं । यदि संसार के सभी दामादों का सफाया करा दिया जाए, तो फिर कभी किसी लड़की को न उसके माता-पिता से वियोग होगा और न कभी इस प्रकार रोने का प्रसंग ही उपस्थित होगा।
प्रातःकाल जब बादशाह अपनी राजसभा में आया तो सबसे पहले उसने बीरबल को अपने पास बुलवाया और आदेश दिया कि “मेरे राज्य के सभी दामादों को शूली पर चढ़ा दिया जाए।" बादशाह के आदेश को सुनकर सभी आश्चर्यचकित थे और सभी एक दूसरे के मुख की ओर देखकर बादशाह द्वारा सहसा दिए जाने वाले इस विचित्र आदेश के गूढ़ रहस्य को जानने का प्रयत्न कर रहे थे।
बीरबल ने बादशाह के आदेश को सुना और उसका पालन करने के लिए राजधानी से बाहर एक विशाल मैदान में शूली लगवाना प्रारम्भ कर दिया। बीरबल ने जिन शूलियों को लगाया था, उन शूलियों में कुछ सोने की थी, कुछ चाँदी की थी और शेष सभी लोहे की थीं । जब बीरबल ने अपने कार्य को सम्पन्न कर लिया, तब दिखाने के लिए बादशाह को बुलाया गया। बादशाह अकबर को बड़ा आश्चर्य हुआ, कि उन शूलियों में कुछ शूलियाँ सोने और चांदी की भी हैं । बादशाह ने सोचा तो बहुत कुछ, किन्तु बीरबल की बुद्धि के रहस्य को समझना आसान न था। आखिर बादशाह ने बीरबल से पूछ ही लिया कि- “शूलियों में कुछ सोने और चांदी की क्यों लगाई गई हैं ?" ___ बीरबल ने विनम्र वाणी में कहा-“जहाँपनाह ! शूली लगाने का तो आपका आदेश है ही, किन्तु मैंने सोचा कि शूली लगवाते समय पद और प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखना चाहिए। इसीलिए मैंने कुछ सोने की और कुछ चाँदी की शूलियाँ भी लगवा दी हैं।"
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