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कबीर ने कहा है
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।
हूं बवरी ढूंढ़न गई, रही किनारे बैठ।। यदि कुछ पाना है तो गहरे पानी में उतरना होगा, अंदर डुबकियां भरनी होंगी। ऊपर की डुबकियों से कुछ नहीं होगा, तट पर बैठने से कुछ नहीं मिलेगा। दृढ़ श्रद्धालु के साथ-साथ साधक विनीत हो, सच्चरित्र
और परिश्रमी हो, तभी वह अपने साध्य के निकट पहुंच सकेगा। अतः साधक अपना लक्ष्य स्थिर करके अनुकूल साधन जुटाए, यह नितांत अपेक्षित है।
भादरा १६ फरवरी १९६६
साध्य और सिद्धि
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