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कि कौन कितने दृढ़ निश्चय के साथ मंजिल की दिशा में सतत कदम बढ़ाता है। दृढ़ निश्चय के साथ मंजिल की दिशा में सतत उठनेवाले कदम मंजिल की हर दूरी मापने में सक्षम होते हैं। वे हर सीधे-टेढ़े मार्ग को पार करके ही सुस्ताते हैं। इसलिए हम कदम-कदम बढ़े चलें। हमारी सफलता अवश्यंभावी है।
सिरसा २८ फरवरी १९६६
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