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साधु कौन
भारतीय संस्कृति में साधु को बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है। साधु कौन होता है ? जो साधना करता है, उसे साधु कहा जाता है। पूछा जा सकता है कि साधना का स्वरूप क्या है। साधना का स्वरूप स्पष्ट है। पांच महाव्रत, पांच समितियां और तीन गुप्तियां - इन तेरह नियमों का पालन करना साधु की साधना है। जो इन तेरह नियमों की अखंड आराधना करते हैं, वे ही सच्चे साधु हैं। जो इनकी आराधना नहीं करते, वे वेशधारण करने से व्यवहार में भले साधु कहलाएं, पर निश्चय में साधु नहीं हैं ।
पांच महाव्रत
पांच महाव्रत निम्नांकित हैं
१. अहिंसा - प्राणिमात्र के प्रति संयम और समत्व की साधना । २. सत्य - जीवन के हर स्तर पर मृषा का असेवन ।
३. अचौर्य - अदत्त का अग्रहण ।
५० : आचार और मर्यादा
४. ब्रह्मचर्य - आत्मरमण । मन और इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण | ५. अपरिग्रह- किसी प्रकार का संग्रह नहीं करना । आवश्यक धर्मोपकरणों पर मूर्च्छा का परित्याग ।
पांच समितियां
पांच समितियां निम्नोक्त हैं
१. ईर्यासमिति - एक-एक कदम सावधानीपूर्वक देखकर चलना ।
२. भाषासमिति-निरवद्य, संयत और परिमित भाषा का विवेकपूर्वक प्रयोग करना ।
३. एषणासमिति - बयालीस प्रकार के भिक्षा- दोषों का वर्जन करते हुए भिक्षा ग्रहण करना ।
आचार और मर्यादा
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