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यह भूल नहीं होती तो जैन-धर्म की स्थिति आज कुछ दूसरी ही होती । खैर, अब भी इस दिशा में प्रयत्न किया जाए। इस वैज्ञानिक युग में जैन - धर्म का भविष्य बहुत उज्ज्वल है, क्योंकि वह अपने-आपमें पूर्ण वैज्ञानिक है । विज्ञान को जितना इस धर्म ने प्रभावित किया है और कर रहा है, . उतना शायद अन्य किसी ने नहीं। यह अभिमत केवल मेरा नहीं है, अपितु अच्छे-अच्छे बौद्धिक और चिंतनशील लोगों का है। मैं चाहता हूं, प्रत्येक जैन कहलानेवाला व्यक्ति इस धर्म को समझ और चिंतन के धरातल पर स्वीकार करके आत्मगत बनाए । निश्चय ही उसके जीवन में पवित्रता की महक फूटेगी।
श्रीगंगानगर ३१ मार्च १९६६
जैन-धर्म : एक वैज्ञानिक धर्म
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