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समाज निर्माण का आधार
बंधुओ ! आप भी यह तथ्य समझें। समाज का मूल है - व्यक्ति। जहां व्यक्ति के जीवन का सही ढंग से निर्माण नहीं होगा, वहां समाज का निर्माण कैसे होगा ? जहां व्यक्ति ही अस्वस्थ होगा, वहां समाज अस्वस्थ कैसे नहीं होगा ? वह तो होगा ही। इसलिए समाज को यदि स्वस्थ बनाना है तो व्यक्ति को स्वस्थ बनाना होगा। उसे मनुष्यता के सांचे में ढालना होगा। जैसाकि मैंने कहा, अणुव्रत मनुष्य को सच्चा मनुष्य बनाने का कार्यक्रम है, व्यक्ति-व्यक्ति के जीवन-निर्माण के द्वारा स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण का उपक्रम है। हालांकि इसके व्रत दिखने में बहुत छोटे-छोटे लगते हैं, पर इनका असर बहुत गहरा है । इनमें व्यक्ति के जीवन में रूपांतरण घटित करने की अद्भुत क्षमता है। न जाने कितने-कितने व्यक्तियों को आज तक इसने हृदय परिवर्तन की भूमिका पर बुराइयों / दुर्व्यसनों से मुक्त किया है, असंयम से संयम की ओर मोड़ा है। उन्हें मनुष्य की सही प्रतिष्ठा प्रदान की है। आप भी अपनी संकल्प - चेतना जगाकर इस पथ पर आएं और मानव की सही प्रतिष्ठा प्राप्त करें। इस पथ पर बढ़तेबढ़ते एक दिन ऐसा भी आ सकेगा, जिस दिन आप आत्म-शुद्धि का सर्वोत्कृष्ट पथ–संन्यास स्वीकार करने की अर्हता भी प्राप्त कर सकेंगे।
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पीलीबंगा
१२ मई १९६६
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