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भी कोई अच्छी बात नहीं है, फिर जो लोग इसे जहर के रूप में जानते हैं, इसके घातक परिणामों से सुपरिचित हैं, वे इसका उपयोग करें, इससे बड़ा चिंतन का दारिद्र्य और क्या हो सकता है? मैं चाहता हूं, सभी स्तरों पर यह बुराई मिटनी चाहिए। अणुव्रत शराब और तंबाकू से जन-जीवन को मुक्त करने के लिए व्यापक अभियान चला रहा है। आप लोग भी इस संदर्भ में गंभीरता से सोचें। सोचने का अर्थ है कि आप इनके दुष्परिणामों से परिचित होकर इनके उपयोग न करने के लिए संकल्पबद्ध हों। मैं मानता हूं, मद्यपान और धूम्रपान इन दोनों बुराइयों के छूटने से दूसरी-दूसरी अनेक बुराइयों के छूटने का मार्ग भी प्रशस्त हो जाएगा।
किसानों और सरपंचों को चुंबक रूप में मैंने कुछ बातें कही हैं। उन सबका उपसंहार करता हुआ मैं एक ही बात कहना चाहता हूं कि आप अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक बनें। जैसाकि मैंने अपने प्रवचन के बिल्कुल प्रारंभ में कहा था, साधु-संत जागरूकता का जीवन जीते हैं और जन-जन को जागरूकता का संदेश बांटते हैं। आप यह जागरूकता का सूत्र हृदयंगम करें, जीवनगत करें। निश्चय ही आपके जीवन में सुख की एक नई बहार आएगी।
श्रीकर्णपुर २१ अप्रैल १९६६
जाग्रत जीवन
२१९.
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