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यदि वास्तविक मुक्ति की चाह है तो आपको त्याग के पथ पर आना होगा, असंग्रह का पथ स्वीकार करना होगा, संयम को जीवन का आधार बनाना होगा। अपेक्षा है, संयमः खलु जीवनम्-यह घोष जनजन तक पहुंचे, वह अनाकांक्षा की भावना से भावित हो। भगवान महावीर ने कहा है-छंदं निरोहेण उवेइ मोक्खं-इच्छाओं के निरोध से मोक्ष प्राप्त होता है।
श्रीकर्णपुर २२ अप्रैल १९६६
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